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लादेन और मुल्‍ला उमर से इंटरव्यू करने वाले हामिद मीर ने तालिबान पर क्‍या कहा, जानिये

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रंगनाथ सिंह, दिल्‍ली:

पहले 19 साल के नौजवान फुटबॉलर के बारे में जानिये, जो तालिबान के निजाम में रहने की कल्पना से इतना बदहवास हुआ कि हवाईजहाज के बाहर लटककर देश से बाहर जाने के प्रयास में शहीद हो गया। अफगान युवा फुटबॉल टीम का सदस्य था। इस्लामी अमीरात में नहीं रहना चाहता था। आज भी नफीस इंग्लिश की आड़ में कुछ इलीट नकाबपोश तालिबानी विचारधारा का बचाव करते दिख रहे। ऐसे ज्यादातर लोग हिन्दू धर्मान्धों की पीठ के पीछे छिप रहे हैं। सभी जानते हैं, हिन्दू धर्मान्ध पहले से ही इनकी पीठ के पीछे खुद को छिपाते रहे हैं। देश को यह समझना होगा कि धर्मान्धता दो मुँहा साँप है। दोनों मुँह हमसे कहते हैं कि पहले वो यहाँ आये। पहले उनका मुँह बाँधो फिर हमसे बात करो। अब साफ हो चुका है कि एक-एक कर यह करना सम्भव नहीं। साँप एक ही है। इसे एक साथ ही पिटारी में बन्द करना होगा। कुछ ज्यादा ही लाक्षणिक बयान हो गया है। एक उदाहरण लेते हैं। आप कल्पना कीजिए वो कौन लोग थे जो एक 62 साल की बुजुर्ग महिला को 179.20 रुपये का मासिक गुजाराभत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ थे। सोचिए, जो मामला एक मर्द और एक औरत के बीच था उस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कौन लोग पार्टी बन गये। सर्वोच्च अदालत ने जब यह कह दिया कि भारतीय संविधान की सम्बन्धित धारा हर जाति, हर समुदाय, हर मजहब के नागरिक पर लागू होती है तो उन्होंने लोकतंत्र को सिर के बल खड़ा करते हुए संसद के रास्ते इंसाफ का गला घोंट दिया। मैं तो यह जानकर हैरान हो गया कि देश 1947 में आजाद हुआ लेकिन 1972 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जन्म हुआ।

 

हामिद मीर पाकिस्तान के नामी पत्रकार हैं। अलकायदा संस्‍थापक ओसामा बिन लादेन और तालिबान संस्‍थापक मुल्‍ला उमर का वो इंटरव्यू लेकर एक समय चर्चा में आए थे। उनके ट्विटर परिचय में लिखा है- पाकिस्तान में प्रतिबन्धित पत्रकार, देह में दो गोलियाँ हैं। कुछ साल पहले आतंकवादियों ने उन्हें ताबड़तोड़ गोली मार दी थी फिर भी वो जिन्दा बच गये। अफगान मामलों पर उनकी पकड़ जगजाहिर है। इंडिया टुडे में आए हामिद मीर के ताजा इंटरव्यू के कुछ टुकड़ों का हिन्दी अनुवाद नीचे पेश किया है। आप आगे पढ़ें इससे पहले एक खबर पर अपनी तरफ से भी ध्यान दिलाना चाहूँगा कि काबुल हवाईअड्डे पर अब भी अमेरिकी सेना का कब्जा है। अमेरिका के 5200 जवान हवाईअड्डे पर मौजूद हैं। अमेरिकी सेना का बयान है कि काबुल हवाईअड्डा पूरी तरह नियंत्रण में है और उड़ान के लिए उपलब्ध है। तालिबान द्वारा विदेशी मीडिया संस्थानों के लिए काम करने वाले पत्रकारों को खोजकर मारने का प्रयास करने की भी खबर है। जर्मनी के DW के तीन पत्रकारों के घरों पर तालिबान पहुँचे। एक पत्रकार के रिश्तेदार की तालिबान ने हत्या कर दी है। 

 

                                                  

हामिद मीर से बातचीत के अंश

-जयशंकर (भारतीय विदेश मंत्री) ने हाल ही में ISIS की आलोचना की लेकिन तालिबान की नहीं की। तालिबान ने जेल तोड़कर कैदियों को आजाद कराया और ISIS के लोगों को गोली मार दी। भारत को परेशान होने की जरूरत नहीं। पाकिस्तान का दुश्मन माना जाने वाला मौलवी फकीर मोहम्मद (पाकिस्तानी तालिबान का नेता) भी काबुल जेल से दो दिन पहले रिहा कर दिया गया है। 

-ईरान, चीन और बांग्लादेश समेत कई देशों के लड़ाके तालिबान का हिस्सा थे। तालिबान ने ईरान और रूस से यह कह कर समर्थन हासिल किया कि वही हैं जो अफगानिस्तान में ISIS को रोक सकते हैं। 

-भारत, पाकिस्तान और दूसरे खिलाड़ियों को अब तालिबान से संवाद स्थापित करना चाहिए और उनपर दोहा समझौते पर अमल करने का दबाव बनाना चाहिए। भारत और अफगान तालिबान करीब साल भर से सम्पर्क में हैं। काबुल पर तालिबान के कब्जे से ठीक एक दिन पहले भी दोनों के बीच दोहा में आधिकारिक बैठक हुई थी। 

-ISI (पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी) और पाकिस्तानी सेना ने अपने सासंदों से कहा है कि अफगान तालिबान हमारे नियंत्रण में नहीं हैं। हालाँकि पंतप्रधान इमरान खान और उनके कुछ दूसरे मंत्री यह जता रहे हैं कि वो काबुल पर तालिबान के कब्जे से खुश हैं। यह अंतरविरोध पाकिस्तान के लिए चुनौती बनने जा रहा है।  

 

(रंगनाथ सिंह हिंदी के युवा लेखक-पत्रकार हैं। ब्‍लॉग के दौर में उनका ब्‍लॉग बना रहे बनारस बहुत चर्चित रहा है। बीबीसी, जनसत्‍ता आदि के लिए लिखने के बाद संप्रति एक डिजिटल मंच का संपादन। )

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।