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जमशेदपुर लाई गईं फादर स्टेन स्वामी की अस्थियां, लोयला स्कूल प्रांगण में लोग कर सकेंगे दर्शन

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द फॉलोअप टीम, जमशेदपुर: 

समाजसेवी फादर स्टेन स्वामी के पार्थिव शरीर की राख को जमशेदपुर लाया गया जहां उसे आम लोगों के दर्शन के लिए रखा गया है। जमशेदपुर के लोयला स्कूल के प्रागंण में स्थित चर्च में उनके पार्थिव शरीर के राख को  रखा गया है। यहां लोग दो दिनों तक दर्शन कर सकते हैं। अगले दो दिन तक लोग वहां फादर स्टेन स्वामी के अवशेषों का दर्शन कर सकेंगे। 

पांच जुलाई को हुई था फादर का निधन
गौरतलब है कि 5 जुलाई 2021 को  मुंबई के होली फैमिली म्युनिसिपलिटी हॉस्पिटल में फादर स्टेन स्वामी ने आखिरी सांस ली थी। फादर 84 वर्ष के थे जब उनकी मौत  हो गई। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फादर स्टेन स्वामी को 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा मामले में आरोपी बनाया गया था। आरोप था कि उन्होंने वहां लोगों के बीच भड़काऊ भाषण दिया था। महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा में कई लोग मारे गए थे जबकि कई लोग घायल हुए थे। मामले में झारखंड की राजधानी रांची से गिरफ्तार किया गया। उनको मुंबई ले जाया गया। 

रांची से किया था फादर को गिरफ्तार
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनआईए की टीम एसपी स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में फादर स्टेन स्वामी को उनके रांची के नामकुम स्थित आवास से गिरफ्तार कर मुंबई ले गई। फादर स्टेन स्वामी को 8 अक्टूबर 2020 को हिरासत में लिया गया था।  मार्च के अंतिम हफ्ते में मुंबई की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार  स्टेन स्वामी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जेल में अचानक तबियत खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।  

तमिलनाडु में हुआ था फादर का जन्म
फादर स्टेन स्वामी  का जन्म 26 अप्रैल 1937 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनके मित्रों के अनुसार, उन्होंने थियोलॉजी और मनीला विश्वविद्यालय से 1970 के दशक में समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की थी। झारखंड में आदिवासियों के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में करीब 30 साल पहले उन्होंने काम करना शुरू किया। उन्होंने जेलों में बंद आदिवासी युवाओं की रिहाई के लिए काम किया। उन्होंने हाशिये पर रहने वाले उन आदिवासियों के लिए भी काम किया, जिनकी जमीन का बांध, खदान और विकास के नाम पर बिना उनकी सहमति के अधिग्रहण कर लिया गया था।