द फॉलोअप टीम, मुंबई:
कोरोना की दूसरी लहर से महाराष्ट्र की स्थिति काफी खराब है। ऐसे में महाराष्ट्र में 16 लाख की आबादी वाला नंदुरबार जिला कोरोना के खिलाफ जंग में मिसाल पेश कर रहा है। यहां की स्थिति देश के बाकी हिस्सों से बिलकुल अलग है। ऐसे वक्त में जब भारत का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ते केस के आगे बेबस नजर आ रहा है, ये देख हैरानी होती है कि इस जिले में 150 ऑक्सीजन बेड खाली पड़े हैं। जिले में दो ऑक्सीजन प्लांट लगा है जिसकी संयुक्त उत्पादन क्षमता 2400 लीटर प्रति मिनट की है।
काफी बढ़िया है जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था
इस जिले का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इतना अच्छा है कि पड़ोसी जिलों के लोग यहां इलाज करवाने आते हैं। बढ़िया प्रबंधन और जागरूकता की बदौलत ना केवल इस जिले में कोविड पॉजिटिविटी को नियंत्रित किया जा सका है बल्कि इसमें 30 फीसदी तक की गिरावट आई है। यहां पहले प्रतिदिन 1200 तक एक्टिव कोरोना मरीज होते थे। ये संख्या घटकर अब महज 300 तक पहुंच गयी है।
कोरोना के खिलाफ जंग में मिसाल बना जिला
कोरोना के खिलाफ जंग में यदि नंदुरबार जिला एक मिसाल बन गया है तो इसका पूरा श्रेय जिले के उपायुक्त डॉ. राजेंद्र भारूद और उनकी टीम को जाता है। इस टीम में प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी, डॉक्टर और वॉलेंटियर्स शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक ऐसे वक्त में कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट में आने लगी। वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया तो कई जिलों और शहरों ने अपने यहां अस्थायी कोविड केयर सेंटर्स को बंद कर दिया लेकिन उपायुक्त डॉ. राजेंद्र भारूद ने ऐसा नहीं किया। यही वजह है कि यहां कोरोना के खिलाफ जंग के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।
मामले घटने पर भी तैयारियां नहीं हुई थी कम
एक निजी न्यूज वेबसाइट से बात करते हुए उपायुक्त डॉ. राजेंद्र भारूद ने कहा कि हमने तमाम बुनियादी सुविधाओं को रहने दिया ताकि मामलों में उछाल हो तो उससे निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि भारत में मामले कम होते जा रहे थे वहीं ब्राजील और अमेरिका में संक्रमण का मामला काफी बढ़ रहा था। मुझे संकट का थोड़ा अंदेशा था इसलिए मैं चाहता था कि हमारी तैयारी पूरी हो। सितंबर 2020 में जिले में पहला ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया। उस समय जिले में रोजाना महज 190 मरीज ही सामने आ रहे थे। अप्रैल 2020 में ये आंकड़ा 1200 तक पहुंच गया। मार्च में हमने दूसरा प्लांट भी स्थापित कर लिया था। अब तीसरा प्लांट स्थापित करने की तैयारी जारी है।
आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए किया प्रयास
इतनी पुख्ता तैयारी के लिए आर्थिक संसाधन की जरूरत थी। हर ब्लॉक में एंबुलेंस, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन बेड, वैक्सीन, दवाईयां, कर्मचारी और कंट्रोल रूम की जरूरत थी। उपायुक्त डॉ. राजेंद्र भारूद के मुताबिक उन्होंने जिला योजना की राशि, विकास निधि, राज्य आपदा राहत कोष और सीएसआऱ सहित अन्य संसाधनों के जरिए सारा खर्चा जुटाया। स्थानीय समाजसेवियों ने भी सहायता की। बेहतर सूझबूझ और प्रबंधन के जरिए संसाधन आसानी से जुटा लिये गये।
स्कूल और सामुदायिक हॉल बने कोविड सेंटर
उपायुक्त और उनकी टीम ने जिले में तमाम स्कूल और सामुदायिक हॉल को कोविड क़ेयर सेंर में तब्दील किया। जिले में सात हजार बेड स्थापित किया गया। 1300 आईसीयू बेड लगाया गया। इसमें वेंटिलेटर की सुविधा भी शामिल थी। मरीजों को लाने के लिए अतिरिक्त 27 एंबुलेंस खरीदे गये। शवों को अंत्येष्टि के लिए 2 एंबुलेंस की व्यवस्था की गयी। 50 लाख रुपये का रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदा गया। मरीजों को इलाज के लिए यहां-वहां ना भटकना पडे़ इसकी भी व्यवस्था की गयी। लोगों में किसी तरह का पैनिक ना फैले इसके लिए बेवसाइट बनाई गयी। कंट्रोल रूम की स्थापना की गयी।
चिकित्सकों का इंतजाम कुछ ऐसे किया गया था
उपायुक्त डॉ. राजेंद्र भारूद के सामने चुनौती इस बात की भी थी कि चिकित्सकों की भारी कमी थी। इलाके में कोई मेडिकल कॉलेज नहीं था। विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा हासिल करना बड़ी चुनौती थी। इससे निपटने के लिए डॉ. राजेंद्र भारूद ने स्थानीय डॉक्टरों की सहायता ली। इनको प्रशिक्षण दिया कि कैसे ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग की जाती है। कैसे स्लाइन किया जाता है। बेसिक प्राथमिक उपचार की सारी ट्रेनिंग दी गयी। इस प्रकार स्वास्थ्य कर्मियों की कमी की समस्या का समाधान किया गया। जिले में टीकाकरण अभियान को भी सुचारू रूप से जारी रखा गया। 45 वर्ष से अधिक आय़ु वाले तकरीबन 3 लाख व्यक्तियों को टीका लगाया जा चुका है।
कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे आगे नंदुरबार
नंदुरबार जिला आदिवासी बहुल इलाका है। यहां लोगों को टीकाकरण केंद्र तक बुलाने की बजाय वैक्सीनेशन के लिए 16 वाहन आवंटित किया गया। इन मोबाइल वाहनों के जरिए स्वास्थ्यकर्मियों ने पहाड़ी इलाकों तक पहुंचकर लोगों को टीका लगाया। स्थानीय शिक्षकों और सरपंचो को ये जिम्मेदारी दी गयी कि वे स्थिति की गंभीरता और वैक्सीनेशन की जरूरत के बारे में लोगों को जागरूक करें। जिला प्रशासन, पदाधिकारियों, स्वास्थ्यकर्मियों और स्थानीय लोगों के सामूहिक प्रय़ास की बदौलत आज नंदुरबार जिला कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे आगे खड़ा है।