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चतरा: गांव की लाचारी सरकारी दावों को दिखा रही ठेंगा, ना पानी, ना बिजली! सड़क की भी सुविधा नहीं

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द फॉलोअप टीम, चतरा:

आजादी के 73 साल बाद भी जब कई गांवों से पाषाण युग वाली तस्वीर सामने आती है तो मन व्यथीत हो जाता है। गांवों की बदहाल स्थिति देखकर सिस्टम की लाचारी और लापरवाही का पता चलता है। बातें तो आदर्श और स्मार्ट गांव की होती है लेकिन अब भी कई गांव वैसे हैं जहां जीवन जीने लायक मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। ना तो वहां बिजली है और ना ही पक्की सड़क। पीने लायक पानी तक नहीं मिलता। इनकी स्थिति सुधारने का दंभ भरने वाले जनप्रतिनिधियों को तो बिजली, पानी, एसी, कूलर सब मिल जाता है लेकिन जनता काफी पीछे छूट जाती है। 


चतरा के तेतर टोला गांव बदहाल
आज द फॉलोअप आपके साथ एक ऐसे ही गांव की चर्चा करेगा जहां ना तो पानी है और ना ही बिजली। लोग व्यवस्था की मार झेले किसी तरह से जिंदगी काट रहे हैं। चुनाव के वक्त जिनको जनता जनार्दन कहा गया था वे बेबस हैं कि किसके पास अपना दुखड़ा रोयें। पिछले कई सालों से किसी भी जनप्रतिनिधि ने इनकी तरफ झांका तक नहीं है। ये कहानी है चतरा जिला अंतर्गत जांगी पंचायत तेतर टोला की। यहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची। चलिए जानते हैं कि यहां क्या समस्या है। 

दलदल में तब्दील हो जाता है पूरा गांव
चतरा के जांगी पंचायत का तेतर टांड़ टोला में आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है। बरसात में यहां  का नजारा बिलकुल नर्क के जैसा होता है।  यहां की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बारिश के मौसम में लोग चप्पल पहनकर नहीं निकलते हैं।  लोगों को चप्पल हाथ में उठाकर चलना पड़ता है। यहां आज तक सड़क नहीं बनी है। बरसात में स्थिति बदतर हो जाती है। पूरा गांव दलदल में तब्दील हो जाता है।  गांव में आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। 

ना तो बिजली है और ना ही पानी
इस गांव में  बिजली, पेयजल और स्कूल भी नहीं है।  गांव में बिजली का तार नहीं पहुंचा है लेकिन बिजली विभाग ने गांव में मीटर और बिजली का बोर्ड लगा दिया है। गांव वाले गुहार लगा-लगा कर थक गए हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। पूरे क्षेत्र में एक ही चापाकल है उससे भी गंदा पानी निकलता है। ग्रामीण 2 किलोमीटर दूर जाकर पानी लाते है। स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत भी ऐसी ही है। 

स्कूल और हॉस्पिटल भी नहीं है
ग्रामीण बताते है कि जब किसी की तबीयत खराब होती है तब टांगकर करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलते हैं।  गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच सकता है क्योंकि सड़क नहीं है। यहां की  मुखिया शोभा देवी का कहना है कि मुखिया फंड से जो हो सकता है, वह सब किया जा रहा है। पूर्व मुखिया दुलारचंद यादव का कहना है कि पंचायत को उतना फंड नहीं मिलता है।  जिससे सड़क बनाई जा सके।  इसके लिए राज्य सरकार से गुहार लगानी पड़ेगी।  21वीं सदी में भी इस गांव ना तो स्कूलहै न स्वास्थय केंद्र।