द फॉलोअप टीम, दिल्लीः
बॉलिवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (Bollywood Internationl Film Festival) का ऑन लाइन आगाज हो गया है। पहले दिन छह फिल्में दिखाई गईं। फ़िल्म फेस्टिवल की फांउडर प्रतिभा शर्मा कहती हैं कि इस फिल्म फेस्टीवल का उद्देश्य पैसा कमाना नहीं है। इसलिए इस तीन दिवसीय फ़िल्म फेस्टिवल का आनंद लीजिये और दुआ कीजिये कि हम आपके लिए अगले वर्ष भी ऐसी ही शानदार फिल्में लेकर आयें। अपने संघर्ष की कहानी कहते हुए प्रतिभा बताती हैं कि मैं और एक सहयोगी के उन दिनों हम शार्ट फिल्मों के निर्माण के बारे में सोच रहे थे। और अभी तक मैं 4 फिल्म्स बना चुकी थी और काफी सारी लिख भी चुकी थी। पर घर के पैसों से कब तक ? फिर हमने सोचा चलो फ़िल्म तो बनाएंगे ही पर एकसाथ मिलकर फ़िल्म फेस्टिवल शुरू करते हैं। फिर नाम ढूंढना शुरू हुआ उनके जेहेन में यह नाम आया और तुरंत दूसरे ही दिन इम्फा से हमने यह रजिस्टर करवा लिया।
BIFF को एक ब्रांड बनाने की कोशिश
वह कहतीं हैं कि यहां से शुरू हो गयी थी BIFF को एक ब्रांड बनाने की कोशिश । वेबसाइट से लेकर बहुत कुछ काम किया गया। filmfreeway की साइट पर हमारा फ़िल्म फेस्टिवल रजिस्टर हुआ। जिस दिन पहली एंट्री आयी फ़िल्म की वह एक ऐतिहासिक दिन था। पूरे साल भर में बहुत से लोग काम से जुड़े और बहुत सारे लोग निकले भी लेकिन मैं डटी रही ।जो लोग नींव रखने में साथ थे उनका भी साथ छूट गया। पर जो भी हो हमारा पहला वर्ष कोविड के मेहरबानी से बहुत अच्छा रहा। उस वक्त सिनेमा के शौकीनों के लिए थेटर्स बंद थे।। ऐसे वक्त में online film Festival चमत्कार साबित हुआ। 200 के करीब Entries पहले ही वर्ष में आई थी।
फिर सब साथ छोड़ गये
प्रतिभा शर्मा ने बताया कि पहले वर्ष की अपार सफलता का नशा फटाफट ही उतर गया लोग छोड़कर चले गए क्यों कि फेस्टिवल ने नाम तो कमाया लेकिन कोई आमदनी नहीं हुई। जितना पैसा लगा था उतना भी मैं नहीं निकाल पाई। क्यों कि फेस्टिवल मैंने पैसा कमाने के लिए नहीं बनाया था। कोविड की वजह से मैंने बिकुल मामूली फीस रखी थी ताकि फिल्मकारों को फीस बोझ न लगे। सिनेमा के प्रति प्यार और समर्पण की वजह से मैने फ़िल्म फेस्टिवल बनाया था। निष्पक्ष जुरीज़ का चयन भी इसलिए ही किया गया था। मैं फिर से जीरो पर आ गयी सब चले गए कुछ थे वह अपने आपको बहुत busy दिखा रहे थे।
और कारवां बनता गया
वह कहतीं है कि उन्होने काफी सोचा कि काम के लिए कोई राजी नहीं था। ऐसे में दूसरा वर्ष पूरा वर्ष कैसे करेंगे? जिनको फ़िल्म फेस्टिवल का डायरेक्टर रखा वह काफी अनुभवी थे। पर फिर जैसे लोगों ने decide ही कर लिया था कि कोई responce ही नहीं देना है। फिर आयी असली परीक्षा की घड़ी। उस घड़ी में यशपाल यानि मेरे पति ने बहुत साथ दिया उन्होंने कुछ तकनीकी लोगों को नियुक्त किया। धीरे धीरे पिछली गलतियां साफ करते करते ही बहुत वक्त निकल गया। कुछ लास्ट के 2,4 महीने में पूरा फेस्टिवल फिर रफ्तार पकड़ने लगा। इसमे Dr अल्पना सुहानी और सुनील बेनीवाल एक सशक्त टीम मेंबर्स बन कर सामने आए। विशाल शर्मा, सुनील, सौरभ शुक्ला सभी लोगोने कड़ी मेहनत से इसे फिर से खड़ा किया।
अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और सौहार्द बढाने की दिशा में एक सराहनीय कदम
प्रतिभा आज अपनी सफलता की दूसरी सीढ़ी चढ़ने के लिए फिर से तैयार हैं। कहा, इसबार हमने humanity दिखाते हुए ईरान और अफगानिस्तान के फिल्मकारों के लिए free Entry रखी। वहां से भी बहुत बेहतरीन फिल्में आईं। कुछ को हमने इस फ़िल्म फेस्टिवल में विनर्स घोषित किया है। मैंने और यशपाल ने यह निर्णय लिया की कम से कम फीस रखेंगे। इसबार पिछले साल की तरह फिल्म्स बहुत नहीं आयी तो भी जो और जितनी आयी सब एक दर्जेदार फिल्म्स है। और बहुत खुशी है कि हम सबके साथ निष्पक्ष न्याय कर पा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और सौहार्द बढाने की दिशा में एक सराहनीय कदम।
इनका हुआ शो