पंडित विकास तिवारी, रांची:
माता सावित्री की कथा तो लगभग सभी ने सुनी होगी। महिलाएं प्रत्येक वर्ष वट सावित्री व्रत का इंतजार करती हैं। इस बार 10 जून दिन गुरुवार को यह पर्व है। वट सावित्री व्रत करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष वट सावित्री व्रत की तारीख पूजन सामग्री, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में। हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन होता है। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या शुरू होने का समय है 9 जून 2021 को दोपहर 01:57 और इसका समापन 10 जून 2021 को शाम 04:22 बजे होगा। इस व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत पति की दीर्घायु और संतान के उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष वट सावित्री व्रत की तारीख, पूजन सामग्री, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में।
वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री
इस पूजा में लगने वाली सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप-दीप, घी, फल-फूल, बांस का पंखा, लाल कलावा, कच्चा सूत, सुहाग का सामान, पूड़ियां, बरगद का फल, भिगोया हुआ चना, जल से भरा कलश आदि शामिल हैं।
वट सावित्री व्रत पूजा विधि
वट सावित्री व्रत के दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद वट सावित्री व्रत और पूजा का संकल्प लें। माता सावित्री और सत्यवान की पूजा करें। साथ ही जल से वटवृक्ष को सींचे और कच्चा धागा वटवृक्ष के चारों ओर लपेट दें। इस दौरान उसकी तीन बार परिक्रमा करें। बड़ के पत्तों को बालो में लगाए। फिर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें। अब भीगे हुए चने एक पात्र में निकाल दें, कुछ रुपए के साथ अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लें। पूजा खत्म होने के बाद बांस के टोकरी में वस्त्र तथा फल किसी ब्राह्मण को दान करें।
वट सावित्री व्रत का महत्व
मान्यताओं के अनुसार सावित्री ने अपने पति के प्राण यमराज से मुक्त कराकर वापस ले आई थीं। इसी वजह से इस व्रत का इतना महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास है। वट सावित्री व्रत की कथा को सुनने मात्र से ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस व्रत से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है।