logo

जब तक चाहें युवा बने रह सकते हैं आप, 2045 के बाद मौत महज़ हादसों से होगी ना कि किसी बीमारी से!

14675news.jpg

द फॉलोअप नॉलेज डेस्क, रांची:

दुनिया इतनी खूबसूरत है कि हर जन्म लेने वाला मनुष्य लंबी सी लंबी आयु इस धरा पर बिताना चाहता है। यदि ऐसा सच हो जाए तो कि व्यक्ति मरे ही नहीं और चिर युवा रहे। अजर और अमर रहे। अगर रिसर्च के बाद सामने आई एक पुस्तक की मानें तो ऐसा निकट भविष्य में सच होने जा रहा है। अबतक ऐसी एक मछली की एक प्रजाति है, जेलीफिश - वो अपने जीवन को दोबारा शुरू कर सकती है। उसके पास एक ऐसी क्षमता है कि ये अपने ही सेल्स की पहचान को बदल कर फिर अपने जीवन की युवा अवस्था में पहुंच सकती है। दूसरे शब्दों में कहें तो ये किसी भी उम्र में अपना आकार-प्रकार बदलकर तुरंत बूढ़ापे से बचपन में आ सकती है।

जेलीफिश

 

साभार बीबीसी

काल्पनिक विज्ञान पर आधारित एक टेलीविज़न सीरीज़ आई थी- 'डॉक्टर हू।' इसका एक पात्र 'टुर्रीटोप्सिस डोहर्नी' अपने आप को पूरी तरह एक नए रुप में बदल लेता है। ठीक उसी तरह जेलीफिश के पास कभी भी युवा बनाने की क्षमता और ज़िंदा रहने का एक अद्भुत सिस्टम है। जो वृद्ध हो जाने, बीमार पड़ने या फिर किसी ख़तरे से सामना हो जाने पर काम आती है।

जेनेटिक इंजीनियरों की नई पुस्तक 'द डेथ ऑफ डेथ' 

विज्ञान के जानकार असलम के मुताबिक बार्सिलोना में दो जेनेटिक इंजीनियरों ने अपनी नई पुस्तक के प्रेजेंटेशन के दौरान दावा किया कि 25 साल बाद मरना स्वैच्छिक और उम्र बढ़ने से रोकना चिकित्सा योग्य हो जाएगा। ये दोनों जेनेटिक इंजीनियर हैं और इन दोनों ने 'द डेथ ऑफ डेथ' नाम से पुस्तक लिखी है। इनका कहना है कि अमर रहना एक वास्तविक और वैज्ञानिक संभावना है, जो मूल रूप से सोचे जाने की तुलना में बहुत पहले आ सकती है। कोरडैरो और वुड का कहना है कि 2045 के आस-पास इंसानों की मौत केवल हादसों से होगी ना कि किसी प्राकृतिक कारण या बीमारी से। 

 

शरीर से मृत कोशिकाओं को खत्म करना, नष्ट पड़ी कोशिकाओं को ठीक करना

इनका कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुढ़ापे को किसी बीमारी के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है ताकि इसके इलाज के लिए सार्वजनिक वित्त पोषण को बढ़ाया जा सके। इन दोनों इंजीनियरों का कहना है कि अन्य नई आनुवंशिक परिवर्तन तकनीकों में नैनो टेक्नोलॉजी प्रमुख है। इस प्रक्रिया में खराब जीन को स्वस्थ जीन में बदला जाएगा, शरीर से मृत कोशिकाओं को खत्म करना, नष्ट पड़ी कोशिकाओं को ठीक करना, स्टेम सेल से इलाज और महत्वपूर्ण अंगों को 3डी में प्रिंट करना शामिल है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी में पदस्थ कोरडैरो का कहना है, 'उसने ना मरने का फैसला किया है और 30 साल बाद वह आज के मुकाबले ज्यादा युवा होगा।'