इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के चार दिनी प्रशिक्षण का आज समापन
द फॉलोअप टीम, रांची
हवा, पानी और मिट्टी का दूसरा नाम ही जीवन है। रांची में इन दिनों युवा कलाकार मिट्टी को नई जिंदगी देने में जुटे हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने यह अवसर उपलब्धर कराया है। छात्र-छात्राएं भारतीय लोक कल्याण संस्थान ,कला एवं शिल्प प्रशिक्षण केंद्र , चुटिया रांची में तीन दिनों से कला के विविध रूपों से परिचित हो रहे हैं। एक वर्षीय पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन ट्राईबल आर्ट एंड क्राफ्ट के यह स्टुंडेंट जाने माने मूर्तिकार दिलेश्वर लोहरा से गुर सीख रहे हैंl तीसरे दिन सीखा कि मिट्टी से चिड़िया कैसे बने। प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग किया गया। उन्होंने मूर्तिकला में मिट्टी से पोट्रेट (व्यक्तिचित्र) तैयार करने की विधि और उनके आधारभूत जानकारियां दी। क्ले मॉडलिंग में पोट्रेट के लिए लकड़ी का आर्मेचर तैयार कर उस आर्मेचर में मिट्टी लगाकर पोट्रेट तैयार किया जाएगा। मिट्टी से महज नाक-कान, मुंह, आंख-मुंह ही नहीं बनाए गए। आकृति ने हाव-भाव भी जीवंत किए।
केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ कुमार संजय झा ने छात्रों को मूर्तिकला एवं पर्यटन स्थल को विकसित करने के लिएबहुमल्य सुझाव दिए। पायलट प्रोजेक्ट के तहत किसी एक पर्यटन स्थल को चयन करने के लिए कहा। कोर्स समन्वयक सुमेधा सेनगुप्ता के अलावा चंद्रदेव सिंह, देवराज सेनगुप्ता, संजय वर्मा ,दीक्षा सिन्हा, प्रतिभा तिग्गा, बोलो उराव, अमृत कांडुलना आदि शरीक हुए। चार दिवसीय प्रशिक्षण का गुरुवार को समापन होगा।
मूर्तिकला को प्रोत्साहन देना मकसद
झारखंड में मूर्तिकला में काफी कम कलाकार सामने आते हैं। इस प्रयास से अच्छे कलाकार सामने आएंगे। उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नसीब होगा।