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अजब-गजब : आगामी 200 साल में दूसरी ग्रह पर रहना शुरू कर देगा इंसान, इस वैज्ञानिक ने किया दावा 

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डेस्क: 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) समय-समय पर धरती, ब्रह्मांड, अंतरिक्ष और चांद से जुड़ी कुछ न कुछ ऐसी चीजें शेयर करती रहती हैं, जो काफी रोमांचित करती हैं। इस बार NASA के जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री के साइंटिस्ट जोनाथन जियांग ने कहा कि अगले 200 साल में इंसान दूसरी ग्रह पर रहना शुरू कर देगा। पृथ्वी अंधेरे से धिरा एक छोटी सी जगह है। 

सीमित संसाधनों के साथ छोटी सी जगह पर फंसे हैं
वैज्ञानिक का कहना है कि Physics की हमारी वर्तमान समझ हमें बताती है कि हम सीमित संसाधनों के साथ इस छोटी सी चट्टान पर फंसे है। उन्होंने आगे कहा कि अपने ग्रह को छोड़ने के लिए मनुष्यों को परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल में तेजी लानी होगी। साथ ही उन ऊर्जा  के गलत इस्तमाल से भी बचाना होगा।

 क्यों नहीं मिला है वैज्ञानिकों को अब तक एलियन सभ्यताओं का सबूत 
जियांग का कहना है कि ऊर्जा की बढ़ती खपत से बने खतरे से समझ आता है कि वैज्ञानिकों को अब तक एलियन सभ्यताओं का कोई सबूत क्यों नहीं मिला है। अगर पृथ्वी बहुत खास नहीं है और जीवन और बुद्धि का विकास इतना अनोखा नहीं है, तो गेलैक्सी को बुद्धिमान प्रजातियों से भरा होना चाहिए।  हम भले ही खगोलीय रूप से बहुत लंबे समय से नहीं रह रहे हैं, लेकिन आकाशगंगा अरबों सालों पुरानी है। उन्होंने बताया कि करीब 60 साल पहले एक सोवियत एस्ट्रोनॉमर ने कार्दाशेव स्केल के बारे में बताया गया था। जिसमें वो किसी भी बुद्धिमान प्रजाति की तकनीकी क्षमता का मेजरमेंट किया जा सकता है।


क्या है कार्दाशेव स्केल
कार्दाशेव मापनी किसी सभ्यता के प्रौद्योगिकीय विकास के स्तर को मापने की एक विधि है। इसमें सभ्यता द्वारा संचार के लिये उपयोग में ली जाने वाली ऊर्जा को आधार के रूप में लिया जाता है। इस आधार पर सभ्यताओं की तीन श्रेणीया बतायी गयी हैं- श्रेणी-1, श्रेणी-2 तथा श्रेणी-3। 1964 मे कार्दाशेव ने किसी परग्रही सभ्यता के तकनीकी विकास की क्षमता को मापने के लिये इस मापनी को प्रस्तावित किया।


जियांग ने बताया आत्म-विनाश से बचने का तरीका
जियांग का कहना है कि किसी सभ्यता के विकास के उच्च चरणों तक पहुंचने से पहले, शायद कुछ प्रक्रियाएं बुद्धिमान जीवन को हटा देती हैं। एक प्रजाति के रूप में हम पहले ही आत्म-विनाश में सक्षम हैं और हम तो कार्दाशेव पैमाने के पहले पायदान पर भी नहीं पहुंचे हैं। मुट्ठी भर देशों के पास इस ग्रह के हर एक इंसान का सफाया करने की परमाणु क्षमता है। आत्म-विनाश से बचने का यही तरीका है कि हम अपनी ऊर्जा के इस्तेमाल को उस बिंदु तक बढ़ाएं, जहां हम एक साथ कई दुनिया में मौजूद हो सकते सकते हैं, भले ही वह सोलर सिस्टम में ही क्यों न हो. एक से ज्यादा ग्रहों पर मानव की उपस्थिति होना, आत्म-विनाश के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा कवच होगा. लेकिन इस स्टेटस को पाने के लिए भारी मात्रा में उर्जा की जरूरत होगी।