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बांस के डंडे से प्रैक्टिस की, खुद खाना पकाया; महिला हॉकी टीम की नई कप्तान सलीमा टेटे का ऐसा है संघर्ष

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द फॉलोअप डेस्क
झारखंड की बेटी सलीमा टेटे को भारतीय महिला हॉकी टीम का नया कप्तान नियुक्त किया गया है। हॉकी इंडिया ने जिस सलीमा टेटे को नया कप्तान बनाया है,उनके लिए यह सफलता इतनी आसान नहीं थी। सलीमा ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है। आज भारतीय टीम की कप्तान बनने वाली सलीमा ने कभी हाथ से बने बांस की स्टिक और बॉल से हॉकी खेला है। छोटी उम्र से परिवार से दूर रही। खुद खाना पकाया लेकिन हिम्मत कभी नहीं हारी।


परिवार से अकेले सिमडेगा जाकर सीखा हॉकी का गुर
सलीमा टेटे सिमडेगा जिला के सदर प्रखंड अंतर्गत बड़कीछापर गांव की रहने वाली हैं। सलीमा को बचपन से हॉकी खेलने का जुनून सवार था। वर्ष 2001 में जन्मी सलीमा टेटे ने बड़की छापर के उबड़-खाबड़ मैदान में ही हॉकी खेलना शुरू किया था। उस समय उनके पास न जूते होते थे ने हॉकी स्टिक। वो हाथ से बनी बांस की स्टिक और बॉल से खेलती थी। इसके बाद साल 2013 में सलीमा प्रोफेशनल हॉकी सीखने गांव से निकलकर सिमडेगा पहुंची। यहां कई बार ट्रायल देने के बाद भी उनका आवासीय सेंटर में चयन नहीं हुआ लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद सलीमा दूसरे हॉस्टल में रहकर अपने खेल को निखारने में लगी रही। खुद चावल-दाल बनाती और कोच प्रतिमा के पास हॉकी के गुर सिखने लगी। कई बार मन में यह भी ख्याल आया कि क्या मेरा चयन नहीं होगा लेकिन सलीमा ने हिम्मत नहीं हारी। 


2017 के बाद कभी सलीमा ने मुड़कर नहीं देखा
 नवंबर 2013 में सलीमा का चयन आवासीय हॉकी सेंटर सिमडेगा के लिए कर लिया गया। इसके बाद साल 2017 में सलीमा की मेहनत रंग लाई और जूनियर एशियन कप में उनका चयन हुआ। यहां से अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाली सलीमा ने फिर कभी मुड़कर नहीं देखा। 2018 में सलीमा को यूथ ओलंपिक में जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम का कप्तान का पद दिया गया और टीम ने रजत पदक जीता। सलीमा के अद्भुत खेल प्रदर्शन का नतीजा यह रहा कि 2019 में उनका चयन सीनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में हो गया और फिर उनका चयन ओलंपिक के लिए हो गया। वहीं अब सलीमा को कप्तान बनाया गया है।
 

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