logo

Jharkhand Government : नियुक्ति वर्ष में रद्द हो गई सात वेकैंसी! देश का तीसरा सबसे बेरोजगार राज्य हैं, यही उपलब्धि कम है क्या! 

4cb85936-1fb4-4422-89c1-2e184d0b1432.jpg

रांची: 

कल पंचवर्षीय योजना का अंत हो गया। जी हां। शुक्रवार को पंचायत सचिव नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा-2017 को निरस्त कर दिया गया। विज्ञापन को रद्द करने की क्या वजह हो सकती है। हजारों युवाओं के सपनों को कुचलने का क्या कारण हो सकता है। 

2017 से 2022 तक का लंबा इंतजार और सब खत्म
बात है साल 2017 की, जब निम्नवर्गीय लिपिक और पंचायत सचिव बहाली का विज्ञापन आया था। मई 2017 में अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरा। 2018 में परीक्षा हुई। 2019 में लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। इसी साल हिंदी टाइपिंग और कंप्यूटर का टेस्ट हुआ। हिंदी टाइपिंग में 98 फीसदी एक्यूरेसी मांगी गई थी। इसका ये मतलब है हुआ कि अभ्यर्थी प्रति मिनट 25 शब्द टाइप कर लेता हो। तमाम तामझाम के बाद चयनित अभ्यर्थियों का डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन हो गया। इंतजार केवल नियुक्ति पत्र का था। समय निकलता रहा और अभ्यर्थियों की उम्र भी।

सरकार ने युवाओं की उम्मीदों को कुचल दिया है
उम्मीद थी, इसलिए लगा कि क्या हुआ जो उम्र बीत रही है। नियुक्ति पत्र तो मिलेगा ही। शुक्रवार यानी 21 जनवरी को कार्मिक विभाग ने जेएसएससी को एक चिट्ठी लिखी। तीन पेज की चिट्ठी जिस कागज में लिखी गई है, वो हजारों अभ्यार्थियों पर किसी चट्टान की तरह गिरी है। चट्टान, जिसका भार उठा पाना संभव नहीं। कागज, दरअसल एक फरमान है कि, भैया. आपने जो परीक्षा पास कर ली थी, उस विज्ञापन को रद्द किया जाता है। 

डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन के बाद परीक्षा ही रद्द हो गई 
गौरतलब है कि विज्ञापन के मुताबिक इसमें कुल 4 हजार 948 अभ्यर्थियों का डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन हुआ था। पदों की संख्या थी 3 हजार 88। जो युवा बीते पांच साल से नियुक्ति पत्र की आस लगाए बैठा था। जिस नियुक्ति पत्र की उम्मीद में सपनों को किसी तरह जिंदा रखा था, वो टूट चुका है। सरकार से विश्वास उठ चुका है। जानकर हैरानी होगी कि मुख्यमंत्री अपनी बातों पर अडिग नहीं रहते। बीते वर्ष दुमका में मुख्यमंत्री ने पंचायत सचिव अभ्यर्थियों से बातचीत की थी। कहा था कि हम पॉजिटिव सोच रहे हैं।
मंत्री भी कह रहे थे कि चिंता ना करिये। सबकुछ पॉजिटिव होगा। ये कैसा पॉजिटिव है। जो सरकार रोजगार का वादा करके सत्ता में आई हो, वही 2 साल में एक अदद रिजल्ट ने प्रकाशित कर पाये। जो परीक्षा हो चुकी थी, उसे भी निरस्त कर दिया। सवाल करना तो बनता है, लेकिन लगता है कि सरकार जवाब देने के मूड में नहीं है। प्रदेश के कथित विकास में इतनी बिजी जो है। 

नियुक्ति वर्ष में सात प्रतियोगिता परीक्षा रद्द कर दी गई
आपके लिए ये भी जानना जरूरी है कि निम्नवर्गीय लिपिक और पंचायत सचिव का विज्ञापन सातवीं ऐसी नियुक्ति प्रक्रिया है जिसे रद्द कर दिया गया। इससे पहले छह और विज्ञापनों को रद्द किया जा चुका है। वो विज्ञापन कौन से थे, ये बी जान लीजिये। 

झारखंड राज्य अंतर्गत काराओं में वाहन चालक नियुक्ति भर्ती परीक्षा-2018
झारखंड उत्पाद सिपाही प्रतियोगिता परीक्षा 2018
विशेष शाखा आरक्षी (क्लोज कैडर) प्रतियोगिता परीक्षा 2018
झारखंड एएनएम प्रतियोगिता (नियमित नियुक्ति) परीक्षा- 2019
झारखड एएनएम प्रतियोगिता (बैकलॉग नियुक्ति) परीक्षा- 2019
झारखंड सामान्य योग्यताधारी स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा- 2019
और अब पंचयत सचिव 2017 


झारखंड देश का तीसरा सबसे बेरोजगार राज्य है
ये सभी विज्ञापन तब रद्द किए गए हैं, जिस वर्ष को नियुक्ति वर्ष घोषित किया गया है। कितनी अजीब बात है। लगता है कि घोषणा करने में ही कहीं गलती रह गई होगी। या शायद सरकार ने केवल घोषणा ही की होगी। साल 2021 को नियुक्ति वर्ष ना कहकर, विज्ञापन रद्द वर्ष कहा जाये तो गलत नहीं होगा। बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार उनकी संख्या में बढ़ोतरी के प्रति अग्रसर है। वैसे भी झारखंड, भारत का तीसरा सबसे बेरोजगार राज्य है। यही उपलब्धि कम है क्या। 
सरकार कहती है कि नियुक्ति वर्ष को वित्त वर्ष के हिसाब से देखा जाये। चलिए ये भी देख लेते हैं। आप भी देखिये की सरकार आने वाले 2 महीने में कितनी नियुक्तियां करवाती हैं। या अभी और विज्ञापन रद्द होना बाकी है। केवल देखियेगा नहीं. सोचियेगा भी। 

सरकारें बंगला बनवाएगी और फॉर्च्यूनर खरीदती रहेगी
जब चाय की चुस्कियों के साथ आप घर में बैठकर, जाति, धर्म, संप्रदाय, हिंदू-मुस्लिम, राजनीति, कूटनीति जैसी बड़ी-बड़ी बौद्धिक बातों पर चर्चा रहे होंगे तो थोड़ा ब्रेक लीजिएगा। एक मेहरबानी कीजिएगा कि थोड़ा आंख मूंद कर सोचियेगा। प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र राजधानी रांची के दबड़ेनुमा कमरों में ठूंसे हुये से रहते हैं। कूकर में पक रही तहरी की सीटियों के बीच वे लूसेंट सामान्य ज्ञान रट रहे होते हैं। दो वक्त के बदले एक वक्त का खाना खाकर पैसा बचाते हैं ताकि किताब और अखबार खरीद सकें। गांव में बाप ने जमीन गिरवी रखी होती है। मां गहने बंधक रख देती है ताकि बचवा पढ़कर उनका सपना पूरा कर दे। ऐसे में जब रिजल्ट आने के बाद, पांच साल इंतजार करवाने के बाद विज्ञापन रद्द हो जाता है तो क्या बीतती होगी। 
अभी भी वक्त है चेत जाइये। वरना ऐसे ही आपका जनप्रतिनिधि एक स्वर में अपने लिए बंगला बनवाता रहेगा। फॉर्च्यूनर खरीदता रहेगा। भत्ता बढ़वाता रहेगा। सरकारें इसके पीछे राज्य के ही विकास का दंभ भर देगी। आपका सपना ऐसे ही टूटता रहेगा।