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गुजरात : पिता को बचाने के लिए भालू से भिड़ गई 14 साल की बच्ची, जानिए! फिर क्या हुआ...

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गुजरात:
गुजरात (Gujarat) की एक बेटी ने अपनी जान की परवाह न करते हुए बेखौफ होकर अपने पिता को मौत के मुंह निकाला। सिरोही जिला में खेत में सो रहे किसान पर भालू ने हमला कर दिया। कुत्तों ने शोर मचाया तो खेत में बने मकान में सोई बेटी भागकर आई। उसने अपने पिता को खुन से लथपथ देखा और पिता के बचाने के लिए भालू से भिड़ गई (Fought with Bear)। बेटी ने लगभग 5-8 मिनट के तक भालू से लड़ाई की और उसे भगा कर ही दम लिया। घायल किसान का इलाज मेहसाणा के अस्पताल (Mehsana Hospitals) में चल रही है। इस पूरी घटना के बाद पूरा परिवार सदमे में है।


मन में एक ही बात पिता को कुछ नहीं होने दूंगी
मामला गुजरात के सिरोही जिला के रेवदर कस्बे के सिलदर गांव का है। खेत की रखवाली के लिए करमा राम चौधरी वहां सो रहे थे। जहां अचानक कहीं से भालू से आ गया। जिसके बाद वहां 14 साल की बेटी जोशना पहुंची और भालू से भिड़ गई। जोशना ने बताया कि भालू से संघर्ष के दौरान मन में एक ही बात थी कि मुझे भले ही कुछ भी हो जाए, लेकिन पिता को कुछ नहीं होने दूंगी। 

भालू किसान के शरीर को नोच रहा था
जोशना ने बताया कि मैं अपने माता-पिता के साथ खेत पर थी। रात को पिताजी बाहर खेत में सो रहे थे, मां के पास मैं कमरे में सो रही थी। रात को करीब 3 बजे अचानक कुत्तों के भौंकने से नींद खुली। कुछ समझ पाते उसके पहले पिताजी के चिल्लाने की आवाजें सुनाई देने लगी। वहां का नजारा देख हमारा दिल दहल गया। एक बड़े भालू ने पिताजी को चारपाई से नीचे गिरा दिया था और उनके ऊपर बैठकर उनके शरीर को नोच रहा था। 

7-8 मिनट के संधंष के बाद भागा भालू
जोशना ने कहा कि पहले तो मुझे बहुत डर लगा लेकिन फिर पिता जी को बचाने का खयाल आते ही मेरे अंदर एक जोश आ गया और मैं भालू से लड़ने लगी। भालू से संघर्ष के दौरान मन में एक ही बात थी कि मुझे भले ही कुछ भी हो जाए, लेकिन पिता को कुछ नहीं होने दूंगी। मैने भालू पर लाठी और पत्थर से वार किया। भालू मेरी ओर आने लगा लेकिन अंधेरा होना के कारण उसे ठीक से कुछ दिखाई नहीं दिया। 7-8 मिनट के संघर्ष के बाद मैं भालू को वहां से भागा पाई।

जोशना की बहादुरी की तारीफ हर ओर
भालू को भगाने के तुरंत बाद मैने चाचा को फोन किया और पूरी घटना की जानकारी दी। वह मौके पर आए और पिताजी को जसवंतपुरा अस्पताल ले गए। वहां प्राथमिक इलाज के बाद उनको मेहसाणा (गुजरात) के अस्पताल रेफर कर दिया। जोशना की बहादुरी की तारीफ हर ओर हो कर रही हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग उनको बहादुरी के लिए पुरस्कार देने की भी मांग कर रहे हैं। जोशना 8वीं तक पढ़ी है और उसके बाद खेत से स्कूल की दूरी ज्यादा होने के कारण पढ़ाई छोड़ दी।