द फॉलोअप डेस्क
बिहार सरकार ने बच्चों में कुपोषण और नाटापन की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण और व्यापक अभियान शुरू किया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा "मिशन सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0" के तहत इस पहल को लागू किया गया है। इसमें राज्य की 35 ग्राम पंचायतों के 210 आंगनबाड़ी केंद्रों को चिन्हित किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर का सही तरीके से आंकलन कर जरूरी सुधार सुनिश्चित करना है।
इस अभियान की प्रमुख विशेषताएं हैं-
- बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (CDPO) को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया गया है।
- पोषण ट्रैकर के डेटा का सत्यापन और मिलान किया जाएगा।
- LGD कोड के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों की सुविधाओं और बच्चों के पोषण स्तर का मूल्यांकन किया जाएगा।
- बच्चों के आहार, स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एकत्र की जाएगी।गंभीर है कुपोषण की स्थिति
जानकारी हो कि बिहार में कुपोषण की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। यह राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) में सामने आया है। कई जिलों में बच्चों के वजन में कमी और लंबाई की भी गिरावट देखने को मिली है। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने एक ठोस कदम उठाया है। इसके साथ ही सटीक डेटा संग्रह पर जोर दिया है, ताकि सही योजनाएं बनाई जा सकें।
क्या है सरकार का लक्ष्य
बता दें कि सरकार का लक्ष्य कुपोषित बच्चों की पहचान करना, उनके आहार में सुधार लाना और स्वच्छता जागरूकता को बढ़ावा देना है। इस अभियान से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग भविष्य में प्रभावी पोषण योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन में किया जाएगा। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य अधिकारियों को नियमित निरीक्षण और रिपोर्टिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सके। इसके अलावा सरकार इस डेटा का उपयोग नीतिगत सुधारों के लिए करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह अभियान सही तरीके से लागू किया गया, तो बिहार में कुपोषण की समस्या पर काबू पाया जा सकता है और एक स्थायी बदलाव लाया जा सकता है।