द फॉलोअप डेस्क
जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ने वाली है। मामले में कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई को अंतिम चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सीबीआई को कोर्ट ने 7 जून तक का समय दिया है। इसी दिन मामले की अगली सुनवाई होगी। इस मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्य दोषी हैं।
7 जून तक निर्णायक आरोप पत्र दाखिल करें
ANI के पोस्ट के अनुसार दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई को मामले में 7 जून तक निर्णायक आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील डीपी सिंह ने कहा कि अंतिम चार्जशीट अंतिम चरण में है। हम जून में चार्जशीट दाखिल कर देंगे।कोर्ट ने सीबीआई द्वारा हर तारीख पर आरोपपत्र दाखिल करने के लिए समय मांगने पर भी नाराजगी जताई। बता दें कि इस मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्य भी आरोपी हैं। साथ ही कोर्ट ने सीबीआई द्वारा हर तारीख पर चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय मांगने पर नाराजगी जताई और कहा कि हर बार सुनवाई में यही कहा जाता है कि चार्जशीट दाखिल करने का काम अंतिम चरण में है।
क्या है जमीन के बदले नौकरी मामला?
गौरतलब है कि इससे पहले भी 9 मई को सीबीआई ने कहा था कि चार्जशीट लगभग तैयार है और चार्जशीट को दाखिल करने में 15 से 20 दिन का समय लग सकता है। 30 अप्रैल को भी कोर्ट ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने में देरी करने पर सीबीआई को फटकार लगाई थी। जमीन के बदले नौकरी मामला साल 2004 से 2009 का है। इस दौरान यूपीए सरकार में लालू यादव रेल मंत्री थे। रेल मंत्री के रूप में लालू यादव के कार्यकाल के दौरान, निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करके और बिना किसी विज्ञापन या सार्वजनिक सूचना के रेलवे में पसंदीदा उम्मीदवारों की नियुक्ति की गई थी। पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता और जयपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था। आरोप है कि नियुक्ति किए गए उम्मीदवारों ने यादव परिवार के कुछ सदस्यों को अत्यधिक रियायती दरों पर जमीन बेची। हालांकि, यादव परिवार ने आरोपों से इनकार किया है।