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बिहार : इस साल के अंत तक 12 लाख सरकारी नौकरियां देंगे- नीतीश कुमार 

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द फॉलोअप डेस्कः
सोमवार को समस्तीपुर में अपनी प्रगति यात्रा के दूसरे चरण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की कि 2025 तक 12 लाख सरकारी नौकरियां और 34 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "9 लाख सरकारी नौकरियां और 24 लाख रोजगार के अवसर पहले ही सृजित किए जा चुके हैं। इस साल के अंत तक हम अपना वादा पूरा कर लेंगे।" नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की चर्चा करते हुए कहा, "प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की संख्या प्रति माह 39 से बढ़कर 11,000 हो गई है।"


मुख्यमंत्री ने समस्तीपुर जिले के लिए कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की घोषणा की, जिनमें मुक्तापुर रेलवे क्रॉसिंग पर रोड ओवर ब्रिज, गंडक नदी पर एक आरसीसी पुल और शिवाजी नगर प्रखंड के शंकर घाट पर एक और पुल शामिल हैं। साथ ही समस्तीपुर, सरायरंजन और रोसड़ा कस्बों के लिए तीन बायपास सड़कें और मुक्तापुर-मोईन को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना का ऐलान किया।


उन्होंने कहा, "जिले के विकास के लिए इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य, मेडिकल कॉलेज, पॉलिटेक्निक, आईटीआई, सड़कें और पुलों सहित सभी क्षेत्रों में काफी काम किया गया है। जो कुछ और जरूरत होगी, वह भी किया जाएगा।" उन्होंने संबंधित अधिकारियों को स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों की सिफारिशों के आधार पर परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया।


अपनी राजनीतिक यात्रा और बिहार में हुए बदलावों पर बात करते हुए नीतीश ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कारण उन्हें सत्ता में आने का अवसर मिला। समस्तीपुर कलेक्ट्रेट सभागार में समीक्षा बैठक के दौरान नीतीश ने कहा, "हमारा भाजपा के साथ गठबंधन 1996 में शुरू हुआ जब मैं अटल बिहारी वाजपेयी के केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा था। उन्होंने मेरा बहुत ख्याल रखा और 2005 में मुझे मुख्यमंत्री बनाया।" 

उन्होंने 2005 से पहले के बिहार की बदहाल स्थिति का जिक्र करते हुए कहा, "तब सड़कें खराब थीं, कानून-व्यवस्था ध्वस्त थी, शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई थी और सांप्रदायिक झगड़े होते रहते थे। बिहार की जनता ने हमें काम करने का अवसर दिया और हमने हर क्षेत्र में बिना भेदभाव विकास सुनिश्चित किया।"
सामाजिक कल्याण के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए नीतीश ने बताया कि 10.61 लाख स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाए गए हैं, जिनमें 1.31 करोड़ ग्रामीण जीविका दीदियां और 26,000 शहरी एसएचजी शामिल हैं।

उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार ने भी हमारे मॉडल को अपनाया और उसे 'आजीविका' नाम दिया।"
इसके अलावा, उन्होंने जाति और आर्थिक सर्वेक्षण का उल्लेख करते हुए बताया कि इसमें 94 लाख अत्यंत गरीब परिवारों की पहचान की गई है। "प्रत्येक परिवार को 2 लाख रुपये दिए जाएंगे और इसके लिए कदम उठाए जा चुके हैं।"