'अफगानिस्तान के मौजूदा हालात उन लोगों के लिए एक सबक हैं जो धर्म को सत्ता संचालन का आधार बनाना चाहते हैं।
बीत चुका समय सोच - विचार की गुंजाइश को बड़ा फलक देता है। इस तरह, संस्मरण किसी व्यक्ति की सहचर्या का सप्रसंग कथन भर नहीं है, उसके कृतित्व की रेखाओं को इतिहास की दीवार पर खोजना भी है। आज राधाकृष्ण जी की स्मृतियों से जुड़ने का दिन है।
व्यक्तिगत प्रतिरोध को आगे चल कर उन्होंने सामाजिक प्रतिरोध में बदल दिया।
वे केवल भारतीय विचारों के उद्घोषक, प्रवक्ता या प्रस्तोता नहीं हैं। वे खुद को घनीभूत भारत कहते थे।
‘आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था’
'लेखक ,इतिहासकार और संस्कृतिकर्मी सुभाष चंद्र कुशवाहा अभी रूस की यात्रा पर हैं!
आरपीएन सिंह को मिल सकता है पार्टी में बड़ा पद
जानामि धर्म न च में प्रवृत्ति:। जानामि अधर्म न च में निवृत्ति:।।
भारत में पहले से भी अधिक गहरी होती जा रही है अमीर-गरीब के बीच खाई
श्रीरामकृष्ण परमहंस और विवेकानन्द की हिन्दू धर्म संबंधी मुख्य अवधारणाएं लकीर की फकीर की तरह नहीं हैं।
बोलते समय रखें एहतियात नहीं तो हो सकते हैं अर्थ के अनर्थ
झारखंड के लोक कलाकार जीतन मरांडी का निधन