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Jharkhand : बदहाल है झारखंड की नदियां, पीना तो दूर मछलियों के रहने लायक भी नहीं बची

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रांची: 

दिन प्रति दिन झारखंड की नदियों का हाल बेहाल होता जा रहा है। इसके बाद बी आपको ये लग रहा है कि ये इस साल की गर्मी के कारण हो रहा है तो आपको ये बता दें कि ये मौसम नहीं बल्कि इंसानों की वजह से हुआ है। झारखंड की नदियां इतनी ज्यादा प्रदूषित हो गई हैं कि ना तो अब इंसानों के लायक बची है और ना ही जलीय जीवों के लिए। ऐसा हम नहीं कह रहे ये कहना है केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नेशनल वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्रोग्राम   (एनडब्ल्यूएमपी) का। जलस्रोतों की गुणवत्ता पर कराये गये सर्वे में यह रिपोर्ट सामने आई है। सर्वे में की गई जांच के दौरान ये पता चला की राज्य की ज्यादातर नदियों की स्थिति बहुत खराब है।
6 नदियों पर किया गया सर्वे
सर्वे के लिए बोर्ड ने राज्य से करीब 6 नदियों को शामिल किया। इसमें दुमका की कुर्वा और धनबाद की जमुनिया व कतारी नदी शामिल है। इसके अलावा जमशेदपुर की खरकई, मनोहरपुर की कोईना के साथ-साथ राजधानी की स्वर्णरेखा और हरमू नदी शामिल है। यह जांच नदियों की गुणवत्ता देखने के लिए कराई गई थी। जांच में नदियों के जल में ऑक्सीजन, पोटेंसियल ऑफ हाइड्रोजन (पीएच), बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), नाइट्रेट, कोलीफॉर्म की जांच की गयी थी।

हरमू नदी में ऑक्सीजन ना के बराबर
जांच के बाद पता चला कि हरमू नदी के पानी में ऑक्सीजन (बीओडी) का स्तर मात्र 2 मिलीग्राम प्रति लीटर है। मतलब पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बिलकुल ना के बराबर है। ये जलीय जीवों के लिए काफी खतरनाक हो सकता है। ये मात्रा इतनी कम है की इसमे मछलियां भी नहीं रह सकतीं। पानी में कम से कम 5 मिली ग्राम ऑक्सीजन होना चाहिए तभी उसमें जलीय जीव रह सकते है।
झारखंड की किसी नदी में नहीं रह सकते जलीय जीव
बीओडी ऑक्सीजन की वो मात्रा है, जो जल में कार्बनिक पदार्थों के जैव रासायनिक अपघटन के लिए आवश्यक होता है। इससे यह पता चलता है कि जलीय प्राणियों की संख्या बढ़ रही है या नहीं। जल प्रदूषण की मात्रा बीओडी से मापी जाती है। बीओडी की मात्रा जितनी अधिक होगी, जल से ऑक्सीजन उतनी तेजी से घटेगा। इससे जलीय जीव का दम घुटने लगेगा। पीने के पानी में बीओडी एक मिली ग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए लेकिन, झारखंड की किसी भी नदी में बीओडी दो से नीचे नहीं है.

आस-पास के लोगों के लिए भी खतरनाक है ये नदियां
वहीं दूसरी तरफ जांच में ये भी पता चला कि हरमू और स्वर्णरेखा नदी में 100 मिली लीटर पानी में 1600 से अधिक बैक्टीरिया हैं। यह पीने के लिए काफी खतरनाक है। सामान्य गाइडलाइन यह है कि किसी भी तरह के गंदे पानी में 1 हजार से अधिक बैक्टीरिया 100 मिली लीटर पानी में नहीं होना चाहिए। इससे अधिक होने पर यह आसपास रहने वालों के लिए भी खतरनाक है।
पीएच भी है समान्य से कई गुना ज्यादा
इसके अलावा पता चला कि सभी नदियों के पानी का पीएच सामान्य से काफी ज्यादा अधिक है। आइएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस पानी का पीएच सात से अधिक होता है, वह पीने के लिए स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अच्छा नहीं होता है। पीएच लेवल सात हो जाने पर पीने के पानी का अम्ल और क्षार दोनों नष्ट हो जाता है। इससे अधिक पीएच लेवल का पानी शरीर के लिए काफी नुकसानदेह माना जाता है।
पानी में बैक्टीरिया बढने के कारण नहीं रह पा रहे जलीय जीव
झारखंड की ज्यादातर नदियां मौसम पर निर्भर करती है। यहां की ज्यादातर नदियों में पानी तभी होता है जब बारिश होती है। इसके अलावा इन नदियों में काफी कम पानी रहता है। वैसे, हरमू और स्वर्णरेखा नदी में कोलीफॉर्म अधिक होने का कारण यहां मल-मूत्र का ज्यादा डिस्चार्ज होता है। इससे जल में बैक्टीरिया बढ़ता है, जो जलीय जीवों के लिए भी नुकसानदायक है।