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वेस्टइंडीज से बिहार पहुंचे फाजिल जौहर, 150 साल बाद मिला पैतृक गांव से नाता

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द फॉलोअप डेस्क 

बिहार के सारण जिले के लश्करी गांव का एक परिवार, जो वेस्टइंडीज के टबेगो में बस गया था, अब 150 साल बाद अपने पूर्वजों को खोजते हुए भारत लौट आया। यह कहानी एक सच्चे परिवारिक जुड़ाव और मिट्टी की महक को महसूस करने की है, जो देश-विदेश की सीमाओं को पार कर गांव पहुंची।
सारण जिले के जनता बाजार थाना क्षेत्र के लश्करी गांव के निवासी छटांकी मियां ने 1890 में भारत छोड़कर वेस्टइंडीज का रुख किया था। समय के साथ उनका परिवार अपने पैतृक गांव से संपर्क खो बैठा। छटांकी मियां के परपोते फाजिल जौहर को अपने पूर्वजों से मिलने की गहरी इच्छा हुई। उन्होंने अपनी तलाश शुरू की और वेस्टइंडीज से इंडिया के संपर्क साधे। इस दौरान उन्हें अपने गांव का पता चला।
फाजिल जौहर और उनकी पत्नी मशीन मरीन ने भारत आने का निर्णय लिया और बिहार राज्य सिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद अफजल अब्बास से मदद ली। सैयद अफजल अब्बास लश्करी गांव के ही रहने वाले थे और उनके प्रयासों से फाजिल जौहर के परिवार का पता चल पाया। जब वे अपने पैतृक गांव पहुंचे, तो उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जैसे कोई खोई हुई बेटी अपने घर वापस आई हो।
फाजिल जौहर के रिश्तेदारों ने उनका खुले दिल से स्वागत किया। उनके भाई शौकत और परवेज ने उनका दिल से स्वागत किया और उन्हें पूरे गांव की सैर करवाई। फाजिल जौहर अपने पूर्वजों के घर भी पहुंचे, जहां उनकी आंखों में आंसू थे, क्योंकि यह घर उनके इतिहास और यादों से जुड़ा हुआ था।
दो दिन तक अपने पैतृक गांव में रहने के बाद, फाजिल जौहर और उनकी पत्नी ने विदाई ली। गांव वालों ने पारंपरिक तौर पर खोईछा देकर उनका सम्मान किया। लौटते समय, फाजिल जौहर अपने साथ गांव की बहुत सी यादें और खजाने लेकर गए। इस यात्रा ने यह साबित कर दिया कि मिट्टी की महक और अपने पूर्वजों से जुड़ाव कहीं न कहीं दिलों को जोड़ ही लेता है।
 

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