रांची
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने रांची के कांके के नगडी गये। वहाँ आदिवासी रैयतों एवं किसानों की उपजाऊ खेतिहर जमीन पर निर्माण की योजना का विरोध कर रहे आदिवासी-किसान रैयतों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने इस निर्माण कार्य को झारखंड के विकास की आड़ में विनाश बताया है।
उन्होंने कहा कि यहां जो लोग वर्षों से खेती-बाड़ी कर अपनी आजीविका चला रहे हैं, उन्हें आखिर क्यों उजाड़ा जा रहा है? इन किसानों ने कौन-सा अपराध किया है जो उनकी उपजाऊ जमीन छीनी जा रही है? सरकार यदि अस्पताल ही बनाना चाहती है तो रांची के चारों ओर बंजर भूमि की कोई कमी नहीं है। अगर उन्हें नहीं मिल रही है तो हम खोजने को तैयार हैं।
बाबूलाल मरांडी ने ऐलान किया कि बीजेपी पूरे मामले को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाएगी। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएगी। उन्होंने कहा की रैयतों की जमीन छीनने की कोशिश को हम विफल करेंगे। हेमंत सरकार के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ जनांदोलन होगा। मौके पर अशोक बड़ाईक, बाल्कू उरांव, सहित गाँव के सैकड़ो आदिवासी रैयत उपस्थित थे।
मरांडी ने आगे कहा कि इस क्षेत्र में एक ओर 202 एकड़, दूसरी ओर 25 एकड़ ज़मीन है। सरकार को सोचना चाहिए कि क्या ये सही निर्णय है? उपजाऊ खेतों को बर्बाद करके अस्पताल बनाएंगे, तो ये विकास नहीं, झारखंड का विनाश है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील किया की वे एक बार यहां आकर देखें कि वास्तव में क्या हो रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने याद दिलाया कि इससे पहले भी लॉ यूनिवर्सिटी के निर्माण के समय ऐसे ही खेती की ज़मीन ली गई थी, और तब भी स्थानीय लोग विरोध में धरने पर बैठे थे। उन्होंने कहा कि मैं पहले भी इस जमीन पर आ चुका हूं, लेकिन तब स्पष्ट नहीं था कि कौन-सी जगह छोड़ी गई है। अब स्पष्ट दिख रहा है कि सरकार की टेढ़ी दृष्टि फिर से इस ज़मीन पर पड़ गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि सरकार को विकास के नाम पर आदिवासी-किसानों की आजीविका नहीं छीननी चाहिए। झारखंड की आत्मा उसकी मिट्टी, खेत और किसान हैं, और इन्हीं के विनाश से राज्य का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस पूरे घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए इसे आदिवासी अधिकारों का सीधा उल्लंघन बताया है।
बाबूलाल मरांडी ने नगड़ी के रैयतों से मुलाकात कर उनकी पीड़ा को न केवल सुना, बल्कि सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हेमंत सरकार आदिवासियों के खेतिहर जमीन से बेदखल करना चाहती है, आदिवासी के पास जीविकोपार्जन चलाने के लिए अपनी खेती बाड़ी के अलावा और कोई साधन नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना किसी की भी जमीन को अधिग्रहण करना गैरकानूनी है। संविधान के अनुसार आदिवासियों को उनकी जमीन पर अधिकार है, और बीजेपी उनके साथ खड़ी है। पुलिस बल लगाकर आदिवासियों की ज़मीन छीनने की इजाज़त किसी को नहीं दी जा सकती।