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झारखंड में आंदोलनकारियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी में 5% आरक्षण

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द फॉलोअफ डेस्कः
राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों के आश्रितों को थर्ड और फोर्थ ग्रेड की सरकारी नौकरी में 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला लिया है। इसके लिए बुधवार को झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 को बहुमत के साथ पारित कराया गया। विधेयक में इस बात का स्पष्ट रुप से जिक्र है कि यह लाभ आंदोलनकारी परिवार को सिर्फ एक ही बार मिलेगा। इसके लिए झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (एससी, एसटी, पिछड़े वर्गों के लिए) अधिनियम, 2001 की धारा 4(2) (क) में संशोधन किया गया है।


अब तक इस वजह से अटका था मामला 
खास बात है कि 25 फरवरी 2021 को कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया था कि पुलिस फायरिंग या कारा में मृत या 40 प्रतिशत तक दिव्यांग हुए आंदोलनकारी के आश्रित परिवार के एक सदस्य को निर्धारित शैक्षणिक अहर्ता के अनुरूप राज्य सरकार के थर्ड और फोर्थ ग्रेड में सीधी नियुक्ति होगी। इसके अलावा एक आश्रित को 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन विधेयक में संशोधन नहीं होने की वजह से यह लाभ नहीं मिल पा रहा।


जेल जाने की बाध्यता खत्म हो 
संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि आंदोलनकारियों की पहचान के लिए जेल जाने की बाध्यता को खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बाबत अप्रैल 2021 में ही गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से संकल्प पारित किया गया था लेकिन इतने महीनों तक सरकार कहां सो रही थी. भाजपा के विधायकों ने कहा कि आंदोलन के वक्त वनांचल शब्द भी जुड़ा था, जिसे हटा दिया गया. ऐसा नहीं होना चाहिए था।


ऐसे मिलता है अलग-अलग वर्ग को झारखंड में आरक्षण 
आपको बता दें कि झारखंड में एसटी को 26 प्रतिशत, एससी को 10 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 8 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग को 6 प्रतिशत के अलावा आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. इसमें दिव्यांगजन और महिलाओं के लिए 5  प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा जाता है. अब झारखंड आंदोलनकारी परिवार के एक आश्रित को सिर्फ एक बार 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलेगा.