द फॉलोअप डेस्क
नलिनी चौधरी को 2018 में जमानत मिल गई थी, लेकिन कागजों में गलती के कारण उन्हें अब यानी 6 साल के बाद छोड़ा गया। नलिनी को 6 साल मिदनापुर जेल में रहना पड़ा। उनकी जमानत कागजों में नाम 'ललोनी देवी' लिखा था और झारखंड की निवासी नलिनी को उत्तर प्रदेश का निवासी बताया गया था। यह गलती उनके पहचान पत्र में दर्ज थी। 2017 में नलिनी को पुलिस ने कालाइकुंडा एयरफोर्स बेस के पास भटकते हुए पकड़ा था। उस समय यह जानकारी नहीं थी कि वह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं और घर से भटक गई थीं। पुलिस ने उन पर अवैध घुसपैठ और सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज किया था।
जमानत मिलने के बाद भी जेल में रही2018 में नलिनी को जमानत मिल गई, लेकिन उनके परिवार का पता नहीं चलने के कारण वह जेल में ही रहीं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) ने लगातार उनके परिवार को खोजने की कोशिश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। DLSA के सचिव शाहिद परवेज ने हार नहीं मानी। उन्होंने नलिनी से मिलकर नई जानकारी जुटाई और इंटरनेट, HAM रेडियो और झारखंड की कानूनी एजेंसियों की मदद से उनके परिवार का पता लगाया।
पति ने फोटो देखकर की पहचान
नलिनी के पति लालजी चौधरी ने फोटो देखकर उन्हें पहचाना और झारखंड के पलामू जिले से मिदनापुर पहुंचे। उनके भाई सत्येंद्र चौधरी ने बताया कि EPIC कार्ड में नाम की गलती थी। पति ने यह भी कहा कि नलिनी मानसिक बीमारी का इलाज करवा रही थीं और 2017 में उनके लापता होने की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई थी।
जमानती बॉन्ड भरकर हुई रिहाईगुरुवार को नलिनी के परिवार के लोग जेल पहुंचे और शुक्रवार को उनसे मुलाकात की। DLSA ने 2,000 रुपये का जमानती बॉन्ड भरकर उन्हें रिहा करवाया। 6 साल तक जेल में रहने के बाद नलिनी अब अपने परिवार के साथ घर लौट आई हैं।