द फॉलोअप डेस्क
लौहनगरी जमशेदपुर के पशु प्रेमियों और ज़ू का दीदार करने की चाह रखनेवालों के लिए खुशखबरी है। दरअसल, जमशेदपुर के टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क ने हाल ही में गोरवाड़ा ज़ू (नागपुर) के साथ एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत 2 शानदार रॉयल बंगाल टाइगर्स (नर और मादा) को अपने वन्यजीव परिवार में शामिल किया है। इसके बदले, टाटा ज़ू ने प्रजाति संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देते हुए अपने साझेदार संस्थान को अफ्रीकन ग्रे तोतों की एक जोड़ी (नर और मादा) भेंट की है। बाघों की यह जोड़ी ज़ू के उप निदेशक डॉ नईम अख्तर के नेतृत्व में पशु चिकित्सकों और कीपरों की टीम द्वारा 13 मार्च को नागपुर से ट्रक के माध्यम से लाई गई। करीब 18 घंटे की यात्रा के बाद वे सकुशल जमशेदपुर पहुंचे।
टाटा ज़ू में आए ये बाघ जंगल से बचाव अभियान के तहत लाये गये हैं। लंबे समय से ज़ू को एक नर बाघ की जरूरत थी, ताकि यहां मौजूद बाघिनों- सुनैना और सलोनी के लिए उपयुक्त साथी मिल सके। नये बाघों को फिलहाल क्वारंटीन के लिए हाल ही में बने आधुनिक बाड़े में सुरक्षित सेल में रखा गया है। 30 दिनों की क्वारंटीन अवधि पूरी होने के बाद, ज़ू प्रशासन नर बाघ को सुनैना और सलोनी से चरणबद्ध तरीके से मिलाकर उनके स्वाभाविक मेल का प्रयास करेगा।
टाटा ज़ू अब सफेद बाघों की विरासत को आगे बढ़ाने की तैयारी में है! सफेद बाघ कैलाश, बाघिन सुनैना और सलोनी का पिता था, और ज़ू प्रशासन को उम्मीद है कि नवागंतुक जंगली मूल के नर बाघ के साथ प्रजनन के बाद सफेद बाघ शावकों का जन्म हो सकता है। जंगली जीन के मिश्रण से न केवल शावकों का स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि उनकी औसत आयु भी लंबी होने की संभावना है। टाटा ज़ू में बाघों की नई जोड़ी को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से विशेष मंजूरी मिली है। यह अदला-बदली विशेष रूप से इस संकटग्रस्त प्रजाति के जोड़े बनाने और प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए स्वीकृत की गई है, जिससे इन बाघों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। नए बाघ फिलहाल अनुभवी पशु चिकित्सकों और ज़ूकीपर्स की कड़ी निगरानी में हैं। शुरुआती आकलन के मुताबिक, दोनों बाघ पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने नए माहौल में अच्छे से घुल-मिल रहे हैं।
वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक और अहम कदम बढ़ाते हुए, टाटा ज़ू अपने अगले एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट (महाबलीपुरम, तमिलनाडु) से चार मगरमच्छ (दो नर और दो मादा) प्राप्त करने के लिए तैयार है। इसके बदले में, ज़ू अपने सहयोगी संस्थान को चार इंडियन स्टार कछुए (दो नर और दो मादा) प्रदान करेगा। मगरमच्छ, खासकर मार्श क्रोकोडाइल (मगर), आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इनका टाटा ज़ू में आगमन न केवल यहां की जैव विविधता को समृद्ध करेगा, बल्कि आगंतुकों को मगरमच्छों के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करने में भी मदद करेगा। फिलहाल, ज़ू में केवल एक मगरमच्छ है, और इस नई जोड़ी के आने से संरक्षण प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। टाटा ज़ू वन्यजीव संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए देशभर के चिड़ियाघरों और वन्यजीव संगठनों के साथ रणनीतिक सहयोग को लगातार मजबूत कर रहा है। अपनी विज़न और मिशन को साकार करने के लिए ज़ू सतत प्रयासरत है।