द फॉलोअप डेस्क
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने झारखंड सरकार की "मिशन यूपीएससी" योजना पर कड़ी आलोचना की है। भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान अजय साह ने कहा कि यह योजना छात्रों के लिए मददगार साबित होने की बजाय एक मजाक बन गई है। योजना के तहत झारखंड के 100 आदिवासी छात्रों को दिल्ली में यूपीएससी की कोचिंग के लिए 80,000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी, लेकिन इसका लाभ किसे मिलेगा, इसकी चयन प्रक्रिया पूरी तरह से अव्यवहारिक और अनुचित है।
अजय साह ने कहा कि योजना के तहत चयन प्रक्रिया बेहद चौंकाने वाली है। सबसे पहले उन छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्होंने यूपीएससी का साक्षात्कार दिया है, फिर यूपीएससी प्रीलिम्स पास करने वाले छात्रों को लिस्ट में शामिल किया जाएगा। इसके बाद जेपीएससी साक्षात्कार में शामिल छात्र और अंत में जेपीएससी प्रीलिम्स पास करने वाले छात्रों को लाभ मिलेगा। अजय साह ने सवाल उठाते हुए कहा कि जिन छात्रों ने पहले ही यूपीएससी की कठिन परीक्षाओं को पास किया है, उन्हें कोचिंग के लिए आर्थिक सहायता देने का क्या मतलब है?
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अन्य राज्यों में इस प्रकार की योजनाओं का लाभ सही छात्रों को दिया जाता है। महाराष्ट्र में प्रतियोगिता के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है, जबकि गुजरात ने अपनी कोचिंग व्यवस्था स्थापित की है। इन राज्यों में योजना का लाभ योग्य और जरूरतमंद छात्रों को दिया जा रहा है।
अजय साह ने झारखंड सरकार से आग्रह किया कि "मिशन यूपीएससी" योजना के तहत लाभार्थियों की सूची ग्रेजुएशन के अंकों या खुली प्रतियोगिता के आधार पर तैयार की जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना का लाभ सही मायनों में उन आदिवासी छात्रों तक पहुंचे, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है।