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कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ आजसू का एक दिवसीय धरना, जानें क्या है मामला 

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द फॉलोअप डेस्क, रांची 
अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) की बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति के भ्रष्टाचार में लिप्त आचरण की जांच करने, विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय एवम जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई स्नातकोत्तर स्तर पर प्रारंभ करने, विश्वविद्यालय में जूलॉजी एवं बॉटनी की पढ़ाई स्नातकोत्तर स्तर पर प्रारंभ करने, विश्वविद्यालय के सभी अंगीभूत महाविद्यालयों में पुनः स्नातकोत्तर की पढ़ाई प्रारंभ करने की मांगो को लेकर राजभवन के समीप एक दिवसीय धरना दिया। इस धरना में बिनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय इकाई के सैकड़ों छात्र छात्राओं ने धरना में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की।

उड़ीसा की उड़िया भाषा की पढ़ाई को प्रमुखता दे रहे कुलपति- गौतम सिंह

आजसू के प्रदेश अध्यक्ष गौतम सिंह ने कहा कि कुलपति विश्वविद्यालय को व्यवसायिक रूप से स्थापित कर छात्र छात्राओं ने दोहन का अड्डा बना रहे हैं। आए दिन छात्र छात्राओं की शिकायतों से आजसू रूबरू हो रही है, शिक्षकों से भी ट्रांसफर का भय दिखा कर उनसे अवैध वसूली की जा रही है, राज्य के क्षेत्रीय एवं  जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई प्रारंभ करने के उलट उड़ीसा की उड़िया भाषा की पढ़ाई को प्रमुखता दे रहे हैं। आजसू किसी भी हाल में कुलपति की मनमानी को बर्दाश्त नहीं करेगा और छात्र हित में आवाज उठाते रहेगा।

 विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आजसू ने लंबी लड़ाई लड़ी- हीरा लाल

आजसू की बीबीएमयू प्रभारी हीरा लाल महतो ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति छात्र छात्राओं के हित में कार्य करने के विरुद्ध अपना व्यवसायिक एजेंडा पर कार्य कर रहे हैं। आज राजभवन के समीप में हुए एकदिवसीय धरना प्रदर्शन के माध्यम से आजसू राजभवन को विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमित्तताओं से अवगत करा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय स्वाभाविक रूप से बना विश्वविद्यालय नही है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आजसू ने लंबी लड़ाई लड़ी है। इस विश्वविद्यालय को आजसू ने बनाया है और अब इस विश्वविद्यालय को संवारने का कार्य भी आजसू के कार्यकर्ताओं ने अपने कंधे पर उठा लिया है। किसी भी पदाधिकारी को तानाशाह नही बनने देंगे, ना ही लूटने देंगे।

विश्वविद्यालय कैंपस में कमीशनखोरी चरम पर- विशाल महतो

बीबीएमयू अध्यक्ष विशाल महतो ने कहा कि आजसू के चरणबद्ध आंदोलन से छात्र छात्राओं की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन लिए शिक्षकों की कमी, लॉ कॉलेज में स्थाई प्राचार्य की कमी, अंगीभूत महाविद्यालयों में पीजी की पढ़ाई प्रारंभ करने जैसे छात्र छात्राओं के हितार्थ कार्य करने से उलट कमीशनखोरी के लिए आनन–फानन में बैठक कर सेमिनार के नाम पर 35 लाख बजट को स्वीकृति दे देते हैं। विश्वविद्यालय कैंपस में पूर्ण रूपेण कमीशनखोरी चरम पर है। आजसू इसके खिलाफ लड़ी है और आगे भी लड़ते रहेगी।