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1978 में सरपंच बने थे आलमगीर आलम, विधानसभा अध्यक्ष से मंत्रिपद तक; ऐसा रहा सियासी सफर

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द फॉलोअप डेस्कः
बीते शाम झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। आज पीएमएलए कोर्ट में पेशी हुई जहां से उनको 6 दिन के रिमांड पर भेज दिया गया। आलमगीर आलम का जन्म बरहरवा प्रखंड के इस्लामपुर गांव के जमींदार परिवार में हुआ था। आलमगीर पांच भाइयों में से दूसरे नंबर पर हैं। आलमगीर को पिता ने 55 बीघा जमीन हिस्से के तौर पर दी थी। जिसमें से 5 बीघा जमीन बेचकर बरहरवा पहाड़ी बाबा चौक मस्जिद के समीप एक घर में एलाइड ट्रेडर्स नाम की दुकान आलमगीर ने खोली थी। 

1978 में पहली बार सरपंच का चुवाव लड़ा
आलमगीर के दुकान में पंपिंग सेट मशीन, जेनरेटर के अलावा स्पेयर्स पार्ट्स का व्यवसाय शुरू किया। बताया जाता है कि सालों दुकान चलाने के बाद 1978 में आलमगीर आलम ने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत गये। 1995 में कांग्रेस में आये। कांग्रेस ने टिकट भी दिया, लेकिन पहला चुनाव हार गये। इसके बाद 2000 में चुनाव जीते और राजनीति में सफर आगे बढ़ा।  मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष जैसे पद तक पहुंचे। 


कौन हैं आलमगीर आलम?
आलमगीर आलम के पिता का नाम स्वर्गीय सनाउल हक माता का नाम अमीना खातून है। वहीं उनकी पत्नी का नाम निशात आलम है। उनके दो बच्चे हैं. उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कृषि रही है। उनकी शैक्षणिक योग्यता की अगर बात करें तो वे बीएससी पास है। साल 2000, 2005, 2014 और 2019 में वे विधायक निर्वाचित हुए। राजनीति के क्षेत्र में वे पंडित जवाहर लाल नेहरू और राजीव गांधी को अपना आदर्श मानते हैंय़


कई देशों की यात्रा भी कर चुके हैं 
आलमगीर आलम विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। इसके साथ ही वे बांग्लादेश, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर और सऊदी अरब की यात्रा भी कर चुके हैं। 1978 में उन्होंने अपने गृह पंचायत महराजपुर से सरपंच का चुनाव लड़ा था, वो जीता भी था। इसके बाद वो तेजी से राजनीति में सक्रिय होते गए और आज मंत्री पद तक पहुंचे हैं। आलमगीर आलम के बेटे तनवीर आलम भी राजनीति में सक्रिय हैं, उन्हें कांग्रेस में प्रदेश उपाध्यक्ष का पद दिया गया है.। 


 

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