द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के कमीशन कांड का जांच कर रही ईडी एक के बाद एक खुलासे कर रही है। ईडी को पता चला है कि ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम को पैसे देने के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल होता था। ईडी ने मंगलवार को कोर्ट में सौंपे दस्तावेज में बताया है कि मंत्री आलमगीर आलम के लिए रिश्वत की रकम की गणना के लिए डायरी में कोड वर्ड एम और एच का इस्तेमाल किया गया था। एम का मतलब मिनिस्टर और एच का मतलब ऑनरेबल था। वहीं एम (मनीष), एस (संजीव लाल), टीसी (टेंडर कमेटी), सीइ (चीफ इंजीनियर) जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया है।
ईडी ने कोर्ट में एक डायरी भी जमा किया है जो जहांगीर आलम के घर से बरामद हुई थी। डायरी के कुछ पन्ने भी ईडी ने कोर्ट को सौंप दिए हैं। डायरी में मंत्री जी के लिए एम लिखा है तो कई जगह ऑनरेबल मिनिस्टर के लिए कोड एच लिखा है। ईडी ने सैंपल के तौर पर एक पेज कोर्ट को दिया है। जिसमें 9 से 19 जनवरी तक के 25 ठेकों का जिक्र है। प्रत्येक डिवीजन में किस कंपनी को ठेका दिया गया, इस कंपनी ने कितना भुगतान किया, साथ ही भुगतान का कितना हिस्सा मंत्री को मिला, इसका विवरण पृष्ठ पर है। यहां एम कोड के साथ 123 लाख रुपये का जिक्र हैं। कुल कलेक्शन करीब 223.77 लाख रुपये रहा है।
मनीष, उमेश कौन? जांच कर रही है ईडी
डायरी में हिसाब-किताब में मनीष और उमेश नाम के शख्स का भी जिक्र है। एक पन्ने में मनीष को 4.22 करोड़ और उमेश को 5.95 करोड़ रुपये देने का जिक्र है। ईडी इस बात की जांच कर रही है कि मनीष और उमेश कौन हैं? ईडी ने दावा किया है कि जहांगीर के घर से बरामद पूरे 32.20 करोड़ रुपये आलमगीर आलम के हैं। वहीं, ईडी ने कोर्ट को बताया है कि सरकारी दस्तावेज, हिसाब-किताब की डायरी समेत वहां जो भी चीजें मिलीं, उन्हें आलमगीर आलम के निर्देश पर संजीव लाल ने वहां रखा था।