द फॉलोअप डेस्क
राजधानी रांची स्थित एक सरकारी बैंक के मैनेजर का सनसनीखेज एवं अजीबोगरीब फर्जीगिरी का मामला प्रकाश में आया है। इस बैंक मैनेजर ने अपने कस्टमर को ही पिता बना लिया। अपने वोटर आईडी और आधार कार्ड में कस्टमर का ही पता डाल पासपोर्ट भी बनवा लिया। मामला बिरसा चौक स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबंधक मयंक कुमार और झारखंड सरकार के वित्त विभाग में अवर सचिव के पद पर कार्यरत कपिलदेव पंडित से जुड़ा है। कपिलदेव पंडित ने इसकी शिकायत जगन्नाथपुर थाना और बैंक ऑफ बड़ौदा के क्षेत्रीय प्रबंधक से की है। उन्होंने कहा है कि उनके नाम और पते का गलत इस्तेमाल किया गया है। उन्हें आशंका है कि इस फर्जीगिरी के माध्यम से शाखा प्रबंधन लोन लेकर उन्हें आर्थिक कठिनाई में डाल सकते हैं। इसलिए बैंक उनके साथ न्याय करे और उच्चस्तरीय जांच कर दोषी को सजा दिलाए। क्षेत्रीय शाखा प्रबंधक ने कपिलदेव पंडित को आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है। लेकिन कपिलदेव पंडित का कहना है कि यह किसी बड़े साजिश का संकेत करता है। इसलिए इसकी उच्चस्तरीय जांच जरूरी है।
क्या है पूरा मामला
कपिलदेव पंडित झारखंड सरकार के वित्त विभाग में अवर सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी पुत्री के उच्च शिक्षा लोन के लिए बिरसा चौक स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबंधक मयंक कुमार से संपर्क किया। इस क्रम में उनकी पुत्री की शिक्षा ऋण स्वीकृत भी हुए। इस क्रम में उन्होंने अपना जो आधार, पैन और वोटर आईडी कार्ड जमा किये, उसको आधार बना कर मयंक कुमार ने वोटर आईडी कार्ड बनवाया। उस वोटर आईडी कार्ड में पिता का नाम कपिलदेव पंडित करा लिया। फिर उन्होंने अपने आधार कार्ड में कपिलदेव पंडित का पता, द्वारा-कपिलदेव पंडित, फ्लैट नंबर 310, ब्लॉक-ए, तपोवन रेसिडेंशियल इस्टेट, हवाईनगर, रोड नंबर-2, नीयर बिरसा चौक, पीओ-हटिया, रांची (झारखंड) लिखवा लिया। फर्जीगिरी यहीं समाप्त नहीं हुई। मयंक कुमार ने अपने आधार कार्ड में भी यही पता डलवा लिया। इसका खुलासा तब हुआ जब एक दिन डाक पिऊन कपिलदेव पंडित के आवास पर मयंक कुमार का पासपोर्ट लेकर आया। पिऊन को उन्होंने बताया कि यहां कोई मयंक कुमार नहीं रहते। इसके बाद भी पासपोर्ट मयंक कुमार को प्राप्त हो गया। जबकि सही पते पर संबंधित व्यक्ति के नहीं मिलने पर पासपोर्ट नहीं देने का प्रावधान है।
जगन्नाथपुर थाने की भी संदिग्ध भूमिका
पासपोर्ट बनने से पहले उस व्यक्ति का पुलिस वेरिफिकेशन किए जाने का प्रावधान है। अब सवाल यह है कि जब मयंक कुमार कपिलदेव पंडित के आवास पर नहीं रहते हैं तो पुलिस वेरिफिकेशन में कैसे सही बता दिया गया।
पिता का नाम बदला
दिलचस्प यह भी है कि मयंक कुमार के पासपोर्ट में उनके पिता का नाम रामशंकर प्रसाद है जबकि वोटर आईडी कार्ड में मयंक कुमार के पिता का नाम कपिलदेव पंडित है। दिलचस्प यह भी है कि मयंक कुमार ने वोटर आईडी कार्ड में अपना उम्र तिथि 5 अप्रैल 1977 दर्ज कराया है, जबकि कपिलदेव पंडित उनसे लगभग 9-10 साल ही बड़े हैं। फर्जीगिरी का यह अजूबा नमूना है कि कपिलदेव पंडित को मात्र 9-10 साल में ही पुत्र रत्न की प्राप्ति कैसे हो गयी।
मयंक कुमार ने क्या कहा
मयंक कुमार का कहना है कि उनका कपिलदेव पंडित के साथ आना जाना था। उनसे सहमति लेकर ही उन्होंने अपने आधार कार्ड में उनका पता दिया था। अब उनके नाम को केयर ऑफ करने के बदले वोटर आईडी कार्ड में प्रज्ञा केंद्र ने पिता की जगह उनका नाम लिख दिया। इसे उन्होंने सुधार करा लिया है। पासपोर्ट में कपिलदेव पंडित का पता दर्ज कराने के सवाल पर मयंक कुमार ने कहा कि जब उन्होंने पासपोर्ट के लिए अप्लाइ किया था, इस समय उनके पास जो वोटर आईडी कार्ड था, उसे ही जमा किया था। इसलिए उन्हीं का पता दर्ज हो गया। उनकी नीयत गलत करने की नहीं थी।