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अल्पसंख्यक आयोग के साथ BJP सरकार ने किया सौतेला व्यवहार, अधिकार देने की मांग

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रांची 

झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य डॉ एम तौसीफ ने कहा कि आयोग के साथ तत्कालीन बीजेपी सरकार ने सौतेला व्यवहार किया। इससे आयोग के अधिकार औऱ शक्तियां कम हो गयीं। इन विसंगतियों को तत्काल दूर किया जाना चाहिये। तौसीफ ने इस बाबत आयोग के चेयरमैन हिदायतुल्ला खान को पत्र लिखा है। डॉ तौसीफ ने चेयरमैन से अनुरोध किया है कि इस प्रस्ताव को आयोग की बैठक में पास किया जाये। इसके बाद कार्यवाही के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाए। चेयरमैन ने इस पर अपनी सहमति दी। 

अन्य राज्यों में आयोग के मिले अधिकार 
झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग 2002 अधिनियम, बिहार राज्य अल्पसंख्यक अधिनियम 1991 के तर्ज पर काम कर रहा है। झारखंड में आयोग को सिविल न्यायालय की शक्ति प्राप्त नहीं है। वहीं, पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक आयोग एवं कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग को वहां की राज्य सरकारों ने सिविल न्यायालय की शक्ति प्रदान की है। कहा कि 2005 में झारखंड की भाजपा की सरकार ने झारखंड राज्य महिला आयोग अधिनियम 2005 बनाया। महिला आयोग को सिविल न्यायालय की शक्ति दी गयी। लेकिन अल्पसंख्यक आयोग के साथ उस समय की सरकार ने सौतेला व्यवहार किया। सरकार को अधिनियम में संशोधन कर अल्पसंख्यक आयोग को भी सिविल न्यायालय की शक्ति देनी चाहिए। 

झारखंड महिला आयोग को मिलीं शक्तियां 
1. भारत के किसी भी भाग में रहने वाले किसी भी दोषी व्यक्ति को उपस्थित होने हेतु बाध्य करने और शपथ पत्र पर परीक्षण करने की शक्ति। 
2. शपथ पत्र पर साक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति। 
3. किसी न्यायालय या अधिकारियों से लोक अभिलेख या उसकी प्रति हासिल करने की शक्ति। 
4. साक्ष्यों एवं दस्तावेजों के परीक्षण के लिए कमीशन बहाल करने का अधिकार।  
5. अन्य विषय, जो समय-समय पर विहित किए जाएं।