पाकुड़
पाकुड़ के बाजार सामिति मैदान में आयोजित मांझी परगना सम्मेलन कार्यक्रम में आज बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा छाया रहा। पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन ने कहा कि आज बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण यहां के आदिवासी व मूलवासियों का अस्तित्व खतरे में है। सभी बांग्लादेशी को यहां से निकालना है, तभी संथाल परगना बचेगा। आज आदिवासी गांव एक-एक कर मिटते जा रहे हैं। आदिवासी की जमीन को लूटने वाले को बाहर निकाल कर फेंक देंगे। अपने लोगों की रक्षा के लिए हमें फिर से पूर्वजों वाली लड़ाई लड़नी होगी। जैसे वीर सिध्दों कान्हू, चांद भैरव, फूलो झानो ने गोली चलाकर अंग्रेजों से हमें मुक्ति दिलाई थी, वैसी लड़ाई लड़ेंगे। हमारे पूर्वजों ने अपनी मातृभाषा, परंपरा, मांझी परगना सिस्टम के साथ-साथ मां बहनों की इज्जत के लिए ब्रिटिश साम्राज्य को तीर की नोक से जवाब दिया था। हम उसी के वंशज हैं।
चंपाई ने आगे कहा, जिस जमीन में हम पैदा हुए उस जमीन को बचाने के लिए आपको आगे आना ही होगा। दुख की बात है कि आज अलग राज्य होने के 24 साल बाद भी हमें ये सब याद दिलाना पड़ रहा है। संथाल परगना नामकरण हमारे पूर्वजों ने किया था। यहां की जमीन कोई नहीं ले सकता। आने वाले दिनों में जिसने भी हमारा जमीन हड़पी है, उन्हें फिर से हम वापस दिलाएंगे। चंपाई ने कहा कि पाकुड़ में आदिवासी समाज द्वारा आयोजित मांझी परगना महासम्मेलन शुरू होने से घंटे भर पहले जुटी यह भीड़ बांग्लादेशी घुसपैठियों पर राज्य सरकार के दावों को कटघरे में खड़ा कर रही है। इसमें उपस्थित लोग घुसपैठियों से परेशान हैं एवं उसके ख़िलाफ जन-आंदोलन शुरू करने की तैयारी में हैं।
कार्यक्रम में पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने भी बांग्लादेशी घुसपैठ के मसले पर वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरे संथाल परगना में बांग्लादेश द्वारा घुसपैठ की जा रही है। परंतु वर्तमान सरकार को इसकी चिंता नहीं है। सिर्फ अपने वोट बैंक के कारण वो मौन है। आदिवासियों की जमीन को लूटा जा रहा है। आदिवासियों की संख्या आये दिन घट रही है। जो चिंता का विषय है। इस समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।