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मोटे अनाज को लेकर सदन में दीपक प्रकाश ने पूछे 4 सवाल, कृषि मंत्री ने बताया क्यों मिल रहा बढ़ावा

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द फॉलोअप डेस्कः
राज्यसभा  सदस्य दीपक प्रकाश ने सदन में कृषि एवं कल्याण मंत्रालय से मोटे अनाज के उत्पादन एवं संवर्धन से जुड़ा चार प्रश्न राज्यसभा में पूछा है। उन्होंने कृषि मंत्रालय से से जानना चाहा कि  भारत में मोटे अनाज (श्री अन्न) के उत्पादन की क्या स्थिति है? जिसके जबाब में केंद्रीय कृषि मंत्री  नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्ष 2022-23 के दौरान मिलेट्स (श्री अन्न) का अखिल भारतीय उत्पादन 171.49 लाख टन था। जिसमें 39.90 लाख टन ज्वार, 111.66 लाख टन बाजरा, 15.97 लाख टन रागी और 3.97 लाख टन स्माल मिलेट्स (तृतीय अग्रिम अनुमान के अनुसार) शामिल हैं।


मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने का उद्देश्य क्या
दूसरे और तीसरे प्रश्न में दीपक प्रकाश ने मंत्रालय से पूछा कि सरकार द्वारा लगातार मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के पीछे क्या उद्देश्य हैं? साथ ही श्री अन्न हमारी सेहत के लिए किस प्रकार फायदेमंद होता है? इसके जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि श्री अन्न पारंपरिक रूप से देश के वर्षा सिंचित क्षेत्रों में उगाए जाते हैं और किसान अनुकूल फसलें हैं। इन्हें न्यूनतम कृषि आदानों, कम पानी की आवश्यकता होती है, ये सूखा सहिष्णु, प्रकाश असंवेदी, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीले होते हैं और प्रमुख अनाजों की तुलना में विविध कृषि जलवायु परिस्थितियों को सहन करने वाले होते हैं। मिलेट्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, मिलेट्स अच्छी मात्रा में गैर-स्टार्च पॉलीसेकेराइड के साथ आहार फाइबर और कार्बोहाइड्रेट मिश्रित होते हैं। मिलेट्स में पॉलीफेनोल्स, फाइटेट्स, कैरोटीनॉयड, टोकोफेरोल्स आदि जैसे फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं, जिन्हें 'न्यूट्रास्यूटिकल्स' कहा जाता है। इस प्रकार, मिलेट्स मधुमेह आदि जैसी जीवन शैली संबंधी विकारों से पीड़ित लोगों के लिए सबसे उपयुक्त अनाज हैं। इन न्यूट्रास्युटिकल घटकों के होने से, मिलेट्स में उत्कृष्ट एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) घोषित किया था। भारत सरकार ने आईवाईएम 2023 को मनाने और इसे जन-आंदोलन बनाने का निर्णय लिया है ताकि भारतीय मिलेट्स, व्यंजनों, मूल्यवर्धित उत्पादों को विश्वस्तर पर स्वीकार किया जा सके। मिलेट्स को निरंतर बढ़ावा देने का उद्देश्य घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करना और अपने विशिष्ट गुणों के कारण देशभर में जलवायु लचीली फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना, उत्पादन, खपत, निर्यात आदि को बढ़ाना है।


शोध का क्या है उद्देश्य
आखिरी सवाल में दीपक प्रकाश ने पूछा कि सेंट्रल टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टट्यूट द्वारा 'सुपर फूड' पर किये जा रहे शोध के क्या उद्देश्य हैं? इस पर कृषि मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) - केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई), मैसूर वर्ष 1950 से मिलेट्स पर अनुसंधान कार्य कर रहा है, जिसमें बुनियादी और व्यावहारिक अनुसंधान दोनों शामिल हैं। यह संस्थान मिलेट्स पर विभिन्न कार्यक्षेत्रों जैसे कि स्वास्थ्य लाभ स्थापित करना, मूल्य संवर्धन के लिए मिलेट्स का प्रसंस्करण, मशीनरी विकास सहित मिलेट्स पर विभिन्न उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के विकास में व्यापक अनुसंधान कार्य कर रहा है। सीएसआईआर-सीएफटीआरआई ने विशेष रूप से मिलेट्स पर 250 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए हैं, 53 प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं, 16 पेटेंट करवाए हैं और 19 पीएच. डी थीसिस करवाई हैं। सीएसआईआर-सीएफटीआरआई के अनुसंधान कार्यों में मिलेट्स की पोषण संबंधी विशेषताएं, क्षेत्र - विशिष्ट मिलेट्स उत्पादों को बढ़ावा देना, मिलेट्स उत्पादों की शेल्फ लाइफ वृद्धि, स्वास्थ्य के बारे में वैश्विक जागरूकता और मिलेट्स के पोषण संबंधी गुण आदि शामिल हैं।

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