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बड़ी खबर : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिली सशर्त जमानत

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द फॉलोअप डेस्कः 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कथित शराब घोटाले में केजरीवाल को सीबीआई के केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्वल भुइयां की बेंच ने शर्तों और 10 लाख के निजी मुचलके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री को जमानत दी हैं। केजरीवाल पर वही शर्ते रहेंगी जो ईडी के केस में मिली बेल के दौरान थीं। इससे पहले शीर्ष अदालत ने सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी को अवैध नहीं माना था पर कहा कि किसी भी नेता को बहुत दिनों तक जेल में नहीं रखा जा सकता। 

हम केजरीवाल को रिहा करने का आदेश देते हैं
जस्टिस सूर्यकांत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एफआईआर अगस्त 2022 में दर्ज की गई थी और 4 चार्जशीट दायर की जा चुकी हैं और ट्रायल कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और 17 आरोपियों की जांच की जानी है। निकट भविष्य में मुकदमे के पूरा होने की संभावना नहीं है। केजरीवाल जमानत मंजूर करने के लिए तीन शर्तों को पूरा करते हैं और हम तदनुसार बेल का आदेश देते हैं। उन्होंने आगे कहा कि चार्जशीट दाखिल करना क्या इन परिस्थितियों में  महत्वपूर्ण है? इस संबंध में, हम अपीलकर्ता को ट्रायल कोर्ट तक सीमित नहीं कर रहे हैं। हम अरविंद केजरीवाल को 10 लाख रुपये के जमानत बांड के अधीन जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं।

सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट ने फिर बताया पिंजरे का तोता
जस्टिस उज्वल भुइयां ने फैसला सुनाते हुए सीबीआई पर गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी केवल ईडी के मामले में अर्थहीन जमानत देने का एक उपाय था। कहा कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए। उन्होंने ईडी के मामले में केजरीवाल को सीएम सचिवालय जाने या फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोकने वाली जमानत की शर्त के खिलाफ आपत्ति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के दौरान कहा कि सीबीआई को पारदर्शी दिखना चाहिए और हर प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी हठपूर्वक न हो।

ईडी वाली शर्तों के साथ आएंगे बाहर
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने वही शर्तें लगाई हैं, जो उन्हें ईडी के केस में बेल के दौरान मिली थीं।
केस की मेरिट पर कोई बयानबाजी नहीं करेंगे
दफ्तर जाने, सरकारी काम करने, केस पर टिप्पणी करने पर रोक
ऐसे में सरकार के कामकाज में अब भी दिक्कत बनी रहेगी
NCCSA की बैठक भी नहीं कर पाएंगे।
वह दिल्ली शराब नीति से जुड़े मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे
वह किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करेंगे या मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुंच नहीं रखेंगे