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ED ने किया खुलासा, विष्णु अग्रवाल ने चेशायर होम रोड की जमीन पर फर्जीवाड़ा से जमाया है कब्जा

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द फॉलोअप डेस्कः 
झारखंड में गुरुवार को ईडी ने रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन के और उनसे जुड़े 22 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी जमीन की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ी हुई है। ईडी ने कोर्ट में दिए कस्टडी पीटिशन में बताया है कि व्यवसायी विष्णु अग्रवाल ने जमीन पर अवैध कब्जा जमाया है। रांची के सदर थाना क्षेत्र के गाड़ी मौजा स्थित चेशायर होम रोड में विष्णु अग्रवाल ने अपने सहयोगियों की मदद से एक एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया है। फर्जी दस्तावेज से यह जमीन लिया गया। ईडी ने यह भी बताया है कि उक्त जमीन का फर्जी दस्तावेज बड़गाईं अंचल कार्यालय व रजिस्ट्री कार्यालय में दिए गए हैं। कागजात में छेड़छाड़ किए गये हैं। ईडी ने नौ फरवरी को बड़गाईं अंचल व 15 फरवरी को कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय से दस्तावेज का सत्यापन कराया। जिसमें फर्जीवाड़ा के निशान मिले हैं। 

भानु प्रताप की मदद से होता था फर्जीवाड़ा 
अंचल कार्यालय बड़गाईं ने ईडी को बताया कि दस्तावेज में छेड़छाड़ की गई है। जमीन के मालिक का नाम बदला गया है। ईडी की जांच में खुलासा हुा है कि इसके अलावा भी कई जमीन है जिसकी खरीद-बिक्री नहीं की जा सकती थी। जिसपर कुछ गिरोह ने कब्जा जमा लिया है। फर्जी दस्तावेज व रिकॉर्ड बनाकर असली दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई है। दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने में पूरा गिरोह माहिर है। सभी आरोपित राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के सहयोग से फर्जीवाड़ा करते थे। बता दें कि ईडी ने पूछताछ के बाद जमीन फर्जीवाड़ा मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी को शुक्रवार को रिमांड पर भेज दिया गया है। 17 अप्रैल को फिर से सबकी पेशी होगी। गिरफ्तार लोगों में बड़गाई राजस्व उप निरीक्षक भानू प्रताप प्रसाद, फर्जी कागजात तैयार करने वाले अफसर अली, सद्दाम, इम्तियाज अहमद, तल्हा खान, प्रदीप बागची, फैयाज खान शामिल है। ईडी की छापेमारी ने कई बड़े जमीन घोटाले के संकेत दिए हैं। इस घोटाले में कई बड़े अफसर और कर्मचारी नपेंगे यह तय है। भानु प्रताप को जमीन घोटाले का मुख्य सूत्रधार बताया जा रहा है।


कोलकाता में बनता है कागज
ईडी की जांच में यह बात सामने आई कि रांची में एक गिरोह सक्रिय है जो कोलकाता जाकर रांची की जमीन का फर्जी पेपर बनवाता है। उसकी रजिस्ट्री कोलकाता में कराई जाती है। इसके बाद कौड़ी की जमीन को करोड़ों में बेचा जाता है। इस पूरे फर्जीवाड़ा में आला अधिकारियों के साथ-साथ अंचल अधिकारी, राजस्व कर्मचारी की बड़ी भूमिका होती है। जांच में पता चला है कि सरकारी अफसरों, कर्मियों के साथ-साथ माफियाओं ने भी अरबों की कमाई की है।