रांची:
वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने बुधवार को सदन में वर्ष 2021-22 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सदन में पेश किया। रिपोर्ट में चालू वित्तीय वर्ष के जीएसडीपी में 8.8 प्रतिशत के वृद्धि का अनुमान किया गया है। इससे पहले फिर 2004 - 2005 से 2011 के बीच 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। वर्ष 2011 - 12 से 2018 - 19 के बीच 6.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।
बीते 2 वर्ष में विकास दर में आई गिरावट
गौरतलब है कि पिछले 2 वर्ष में 2019-20 और 2020-21 में विकास दर में गिरावट आई है । इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था और और झारखंड़ की अर्थव्यवस्था दोनों में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य के जीएसडीपी के 4.7 प्रतिशत तक अनुबंधित होने का अनुमान है। राज्य की अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों में तृतीयक क्षेत्र 2011 - 12 और 2019 - 20 के बीच अवधि में सबसे तेज दर से बढ़ा है, जबकि प्राथमिक क्षेत्र 1.9 प्रतिशत की औसत से और द्वितीयक क्षेत्र में 6.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। इस अवधि में तृतीयक क्षेत्र 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
महामारी में केंद्रीय करों में कमी आई है
बता दें कि चालू वित्तीय वर्ष 2021- 22 में कुल राजस्व प्राप्ति ( बजट अनुमान ) 76707 रुपये होने का अनुमान है। पिछले वर्ष की कुल राजस्व प्राप्ति की तुलना में 36.6 प्रतिशत अधिक है। कर राजस्व प्राप्ती 45315.5 रुपये होने का अनुमान है। गैर राजस्व प्राप्ती चालू वित्त वर्ष में 31391.6 करोड़ होने का अनुमान है। इस वर्ष कर राजस्व 2020 - 21 में 23.8 प्रतिशत।
गैर कर राजस्व 60.5 प्रतिशत पिछले वर्ष की तुलना में अधिक होने का अनुमान है। 2019-20 में आर्थिक मंदी और 2020 - 21 में कोविड 19 महामारी में केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी में क्रमशः 13.9 और 4.3 प्रतिशत की कमी आई है।
कुल व्यय में चक्रवृद्धि वार्षिक दर से वृद्धि
वर्ष 2013-14 से वर्ष 2020-21 के बीच कुल व्यय में 13.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से वृद्धि हुई है। 2015 से 2018 और फिर 2020 - 21 में राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत से अधिक हो गया था। राजकोषीय घाटा बढ़ने से राज्य पर कर्ज का बोझ भी बढ़ा।
2013-14 और 2019 - 20 के बीच राज्य का शुद्ध उधार लगभग 27 . 3 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा। सार्वजनिक ऋण जो 2013 - 14 में जीएसडीपी का लगभग 20 प्रतिशत था। उसके बाद तेजी से बढ़ने लगा। 2015-16 से यह 27 फीसदी से ऊपर बना हुआ है। वर्ष 2020- 21 में यह 34.4 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था।
बीते 20 वर्ष में साक्षरता दर में 36 फीसदी की वृद्धि
वर्ष 2020-21 में यह जीएसडीपी का 33 प्रतिशत होने का अनुमान है। राज्य गठन के समय आधी आबादी ही साक्षर थी। 2019-20 में लगभग ये आंकड़ा 73 प्रतिशत तक पहुंच गया। पिछले 20 वर्ष में साक्षरता दर में 36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई।