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हेमंत सरकार को राज्य से उखाड़ फेंकना ही इस संकल्प यात्रा का उद्देश्य, जरा भी बची है नैतिकता तो मुख्यमंत्री दें इस्तीफाः बाबूलाल मरांडी

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द फॉलोअप डेस्कः
पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी साहिबगंज में संकल्प यात्रा कर रहे हैं। आज यात्रा शुरू करने से पहले उन्होंने गंगा में स्नान किया व भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की। इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। जिसमें उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से भ्रष्टाचार और परिवारवाद को समाप्त करने का आह्वान किया है। झारखंड में तो राज्य संपोषित भ्रष्टाचार है। मुख्यमंत्री स्वयं राज्य की खनिज संपदा ,जमीन को लूटने में शामिल हैं। सोरेन परिवार ने आदिवासियों की जमीन नाम बदलकर लूटी है। कहा कि राज्य के मुखिया ने पदाधिकारियों को लूटने में लगा दिया है। ऑफिसर थाना ,ब्लॉक ,अंचल में गरीबों से काम केलिए पैसे मांगते हैं। पैसों को ऊपर तक पहुंचाने की बात करते है।

 


हेमंत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए जनता हो संकल्पित
इस दौरान वह जमकर हेमंत सरकार पर निशाना साधते दिखे और आगे कहा कि हेमंत सरकार अवैध खनन को बढ़ावा दे रही है क्योंकि इसके उगाही के पैसे मुख्यमंत्री के खाते में जाता है जबकि वैध खनन का पैसा सरकार के खजाने में जायेगा।  परिवारवाद सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सोरेन परिवार की राजनीति पैसे के लिए और कमाने के लिए है राज्य की सेवा के लिए नहीं इसलिए सोरेन परिवार को डायनेस्टी को राज्य से उखाड़ फेंकने के लिए जनता को संकल्पित होना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विधानसभा में नमाज कक्ष खोलती है ,सामान्य विद्यालयों को उर्दू विद्यालय में बदल देने ,प्रार्थना की पद्धति बदल देने पर कारवाई नहीं करती। इस प्रकार की मनोवृति रखने वालों से राज्य का बड़ा नुकसान हो रहा है।


केंद्र के भेजे अनाज की लूट मची है
उन्होंने राज्य में ठप्प विकास कार्य पर कहा कि मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में केंद्र सरकार  द्वारा भेजे गए गरीबों केलिए अनाज की लूट हो रही। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल जल की स्थिति राज्य में दयनीय है क्योंकि राज्य सरकार को  विकास से कुछ भी लेना देना नही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आदिवासी का रोना रोते हैं लेकिन राज्य को लूटने का पाप करने केलिए किसी को कानून में छूट नही। हेमंत सोरेन को पाप केलिए जेल जाना ही पड़ेगा। उन्हे सत्ता में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।अगर उनमें थोड़ी भी नैतिकता बची है तो वे अपने पद से इस्तीफा दें।