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10 हजार के रिश्वत कांड से 37 करोड़ वाले नोटों के पहाड़ तक, मंत्री आलमगीर तक ऐसे पहुंची ED

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द फॉलोअप डेस्कः
ग्रामीण विकास विभाग में 10 हजार रुपये की कमीशनखोरी के मामले से शुरू हुई ईडी की जांच 37 करोड़ रुपये की बरामदगी तक पहुंच गई। ग्रामीण विकास विभाग में ईडी जांच की कहानी एसीबी द्वारा जमशेदपुर में 10 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किये गये जेइ सुरेश वर्मा से शुरू हुई थी। एसीबी ने ठेकेदार रामनाथ शर्मा की शिकायत पर इंजीनियर सुरेश वर्मा को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ 2019 में गिरफ्तार किया था। सुरेश वर्मा को गिरफ्तार करने के बाद एसीबी ने सुरेश वर्मा के घर की तलाशी ली। तलाशी के दौरान वर्मा के घर से 63,870 रुपये नकद, जेवरात, बैंक खाता आदि जब्त किये गये। घर की ऊपरी मंजिल को कार्यपालक अभियंता बीरेंद्र राम के रिश्तेदार आलोक रंजन को किराये पर दिया गया था। एसीबी ने ऊपरी मंजिल के कमरे की तलाशी 15 नवंबर को ली।  इसमें अलमारी से 2.67 करोड़ रुपये मिले। एसीबी ने इस पूरे प्रकरण की जांच के बाद जनवरी 2020 में न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया। 

एसीबी ने सुरेश वर्मा और आलोक रंजन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया, लेकिन रुपये का स्रोत पता नहीं लगा सका। इसलिए एसीबी ने एक दूसरा मामला (1/2020) दर्ज किया, लेकिन वह रुपयों के स्रोत का पता लगाने में असमर्थ रहा। कमीशनखोरी के इसी मामले की जांच के लिए ईडी ने 17 सितंबर 2020 को इसीआइआर (16/2020) दर्ज किया। ईडी ने एसीबी के आरोप पत्र और केस डायरी की समीक्षा की। इसमें यह पाया कि सुरेश वर्मा ने एसीबी को दिये गये बयान में यह कहा था कि आलोक रंजन, बीरेंद्र राम का रिश्तेदार है। बीरेंद्र राम और उनकी पत्नी हमेशा आलोक रंजन के पास आते रहते हैं। सुरेश वर्मा ने आलोक रंजन के पास से जब्त रुपयों के बीरेंद्र राम के होने की बात कही थी, लेकिन एसीबी ने इसकी जांच करने के बदले मामले पर पर्दा डाल दिया। जिससे एसीबी के स्तर से बीरेंद्र राम के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी। 


इसीआइआर दर्ज करने के बाद ईडी ने मामले की जांच शुरू की। बीरेंद्र राम पर नजर रखना शुरू किया। बीरेंद्र राम की गतिविधियों के सिलसिले में सूचनाएं जुटाने के बाद इडी ने फरवरी 2023 मे बीरेंद्र राम व उससे संबंधित लोगों के ठिकानों पर छापा मारा। छापेमारी में कमीशनखोरी के सबूत मिले। कमीशन की रकम पर बीरेंद्र राम के पारिवारिक सदस्यों के ऐशो आराम का मामला उजागर हुआ। फरवरी 2023 में गिरफ्तारी के बाद से बीरेंद्र राम जेल में बंद है। जांच के बाद ईडी द्वारा पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। मामले में सुनवाई चल रही है। बीरेंद्र राम के पैसों की लाउंड्रिंग के आरोप में हवाला कारोबारी, सीए सहित कुल नौ लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं। 
छापामारी में इडी ने 37 करोड़ रुपये जब्त किये


ईडी ने बीरेंद्र राम द्वारा दिये गये बयान और उसके ठिकानों से मिले दस्तावेज के आधार पर अपनी जांच जारी रखी। बीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के 15 महीने बाद ईडी ने छह मई की सुबह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और निजी सहायक जहांगीर आलम सहित कुछ इंजीनियरों और ठेकेदार के घर पर छापा मारा। ईडी ने सात मई को भी कुछ इंजीनियर और ठेकेदार के ठिकानों पर छापा मारा। आठ मई, 2024 को इडी ने सचिवालय स्थित संजीव लाल के कमरे में छापा मारा। संजीव लाल के कमरे की तलाशी के लिए पहली बार कोई केंद्रीय जांच एजेंसी छापेमारी के लिए सचिवालय में घुसी थी. इस छापेमारी में कुल 37 करोड़ रुपये जब्त किये गये। इसमें से 32.20 करोड़ रुपये तो निजी सहायक जहांगीर के घर से मिले। 

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