रांची
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर आयुष्मान भारत योजना को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि यह योजना गरीबों के लिए संजीवनी है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड से ही लॉन्च किया था। इसके तहत प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का इलाज संभव है, लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता के कारण आम जनता इसका लाभ नहीं ले पा रही है।
मरांडी ने बताया कि केंद्र-राज्य की साझेदारी में चलने वाली इस योजना में राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का नाम तो रखा, लेकिन क्रियान्वयन के स्तर पर गम्भीर खामियां हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 30 बेड और शहरी क्षेत्रों के लिए 50 बेड वाले अस्पताल की अनिवार्यता तय की गई है, जो असलियत से परे है। केंद्र सरकार तो 10 बेड वाले अस्पतालों को भी योजना में शामिल करती है। इससे ग्रामीण इलाकों के छोटे अस्पताल योजना से बाहर हो रहे हैं और गरीब इलाज से वंचित हो रहे हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 750 सूचीबद्ध अस्पतालों में से 538 को फरवरी 2025 से भुगतान नहीं किया है, जबकि 212 अस्पतालों का भुगतान पिछले 10 महीने से लंबित है। इसके चलते कई अस्पतालों ने योजना के तहत इलाज बंद कर दिया है और गरीब मरीज निजी अस्पतालों में महंगे इलाज के लिए मजबूर हैं। मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार केवल घोषणाएं कर रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके विपरीत है। उन्होंने मांग की कि अस्पतालों के बकाये का जल्द भुगतान हो और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 बेड वाले अस्पतालों को शामिल किया जाए।
सरना कोड पर भी सरकार को घेरा
सरना कोड को लेकर मरांडी ने झामुमो और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि आदिवासी धर्म-संस्कृति की रक्षा किए बिना सरना कोड की बात केवल दिखावा है। उन्होंने 2011 की जनगणना के आंकड़े देते हुए बताया कि झारखंड में 15.48% आदिवासी ईसाई धर्म अपना चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा तो भविष्य में सरना कोड भरने वाले ही नहीं बचेंगे।
उन्होंने बताया कि उरांव, मुंडा, संथाल, हो और खड़िया जनजातियों में ईसाई धर्म का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। मरांडी ने पूछा कि जब आदिवासी अपने मूल धर्म से अलग होते जा रहे हैं, तो फिर सरना धर्म कोड का औचित्य ही क्या है? मरांडी ने हेमंत सोरेन और राहुल गांधी से अपील की कि वे आदिवासी समुदाय की संस्कृति, परंपरा और विश्वास को बचाने का ईमानदार प्रयास करें। उन्होंने रघुवर दास सरकार द्वारा बनाए गए धर्म स्वतंत्रता कानून को सख्ती से लागू करने की मांग की। प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव भी मौजूद थे।