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हिम्मत है तो कागज दिखाएं, कुछ साबित हुआ तो राजनीति से संन्यास लेकर झारखंड छोड़ दूंगा- हेमंत

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द फॉलोअप डेस्क, रांची:

पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने आज सदन में कहा मुझे किसलिए अरेस्ट किया गया है साढ़े 8 एकड़ जमीन के घोटाले के लिए। है हिम्मत तो कागज दिखाएं। अगर कागज मिला तो राजनीति से इस्तीफा दे दूंगा। मैं आंसू नहीं बहाऊंगा। आपके लिए हमारे आंसू का कोई महत्व नहीं है। इनके एक-एक सवालों का जवाब वक्त आने पर दिया जाएगा। दुर्भाग्य है इस राज्य का हमारे ही राज्य के कुछ लोग इनके चरणों में जाकर बैठे हैं। नहीं तो इस राज्य की इतनी दुर्दशा नहीं होती है। इस राज्य को बने 24 साल हो गये किसने सबसे ज्यादा राज किया। किसी को बताने की जरूरत नहीं है। 2024 में ही इनको घोटाले नजर आ रहे हैं। ये नहीं पचा पा रहे हैं कि आदिवासी किसी सर्वोच्च स्थान पर पहुंचे। ये नहीं चाहते है कि हम जज बने, हम अधिकारी बने। ये नहीं चाहते कि ये राजनेता बने। इन लोगों ने भी आदिवासी नेता बनाया था। बता दीजिए कितने लोगों ने 5 साल पूरा किया। मुझे पता था कि ये लोग मुझे पांच साल पूरा नहीं करने देंगे। रिकॉर्ड में नहीं लिखने देंगे।

हम सर झुकाकर नहीं चलते। यही हमारी खासियत है। बहुत प्रयास हुआ। हेमंत सोरेन ने कहा कि जब सरसों में ही भूत है तो भूत भागेगा कहां से, यह राज्य ही ऐसा है कि यहां पैसा बहुत है। यही वजह है कि यहां पर आरोप लगते और लगाए जाते हैं.जब जब हमने अलग राज्य की परिकल्पना की तो ये लोग हंसने लगे कि आदिवासी अलग राज्य लेगा। मैं हवाई जहाज में चलता था तो इनको तकलीफ होती थी। पांच सितारा होटल में रुकते थे तो इनको दिक्कत होती थी। बड़ी विचित्र स्थिति है पूरे देश में आदिवासी, पिछड़ा दलित सुरक्षित नहीं है। यहां के खनिज पर लोगों की गिद्ध नजर है। ये तो हम थे कि ये लोग फूंक-फूंककर कदम रखते थे। इनको खुला दरवाजा चाहिए। इनको कोई रोक-टोक वाला नहीं चाहिए। जो इनके सामने आएगा उनको इसी अंजाम से गुजरन होगा। अगर ये सोचते हैं कि हम इससे घबरा जाएंगे तो ये इनकी भूल है। और इतनी बड़ी भूल होगी कि झारखंड का इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा। आज जो षडयंत्र का पैमाना है इस कदर बड़े इसके जो दायरे बने हैं। कानून के अंदर रहकर गैर कानूनी काम कैसे करना है इनसे सिखिए। आप दस्तावेज लाइए।

एक भी दस्तावेज अगर आप दिखा दें कि हमने जमीन हड़प ली है तो मैं उस दिन झारखंड को छोड़ कर चला जाऊंगा। अब इससे भी काम नहीं चला तो मेरे बीवी बच्चों के खाते खंगाल रहे हैं। असमानताएं देखिए सरकार के द्वारा दिए जाने ऋण में आदिवासी को कितना मिलता है औऱ गैर आदिवासी को कितना मिलता है। बड़ी व्यवस्था हर छोटी व्यवस्था को खाने का प्रयास करती है। राम राज्य का पहला असर बिहार में पड़ा फिर झारखंड में पड़ने वाला था। लेकिन इतना आसान नहीं है। जिस तरह से बंधु दा का सदस्यता लिया हो सकता है मेरा भी ले लें। झारखंड मुक्ति मोर्चा का उदय झारखंड के मान सम्मान स्वामिमान के उदय के प्रति हुआ है चाहे राजनीतिक रूप से हो या कानूनी रूप से हो। ना हम पीछे हटे हैं ना हमने पीठ दिखाई है। मुझे तो कोर्ट का आदेश है कि मीडिया के सामने वक्तव्य नहीं देना है तो हमने ईडी से पूछा कि हम सदन में बात नहीं रख सकते। तो ईडी ने मना कर दिया।