द फॉलोअप डेस्क
झारखंड के 58,000 पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) की मानदेय में 1000 रुपये की बढ़ोतरी अभी तक लागू नहीं हो पाई है। यह बढ़ोतरी सितंबर 2024 से मिलनी थी, लेकिन 5 महीने बीतने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिला है। फिलहाल, इस वित्तीय वर्ष में यह संभव होता नहीं दिख रहा है।
न सरकार की पहल, न संगठन का दबाव
शिक्षा विभाग की ओर से इस पर कोई पहल नहीं की जा रही है और न ही पारा शिक्षक संगठन इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। ऐसे में, 5 महीने का बकाया (एरियर) मिलने की भी संभावना कम है। हालांकि, पारा शिक्षकों को बजट से उम्मीद है।
अगस्त 2024 में हुआ था फैसला
अगस्त 2024 के आखिरी सप्ताह में तत्कालीन शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम और पारा शिक्षक संगठनों के बीच बैठक हुई थी, जिसमें पारा शिक्षकों के मानदेय में 1000 रुपये बढ़ाने और उन्हें ईपीएफ (भविष्य निधि) का लाभ देने पर सहमति बनी थी। ईपीएफ की कटौती तो नवंबर 2024 से शुरू हो चुकी है और सरकार भी अपना अंशदान दे रही है, लेकिन बढ़ा हुआ मानदेय अब तक नहीं मिला है।
सरकार पर 6 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ
मानदेय बढ़ने से सरकार पर हर महीने करीब 5.80 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। अगर सरकार सितंबर से एरियर का भी भुगतान करती है, तो दिसंबर 2024 तक 23.20 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। अब जनवरी भी खत्म होने को है, जिससे 5 महीने का बकाया और बढ़ गया है। अधिकारियों के अनुसार, मौजूदा वित्तीय वर्ष में इस बढ़ोतरी के लागू होने की संभावना कम है।