द फॉलोअप डेस्क
पूर्वी सिंहभूम जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली ने एक और मासूम की सांसें छीन लीं। दरअसल, डुमरिया से जमशेदपुर तक की करीब 80 किमी तक की दूरी ने एक गर्भवती महिला की कोख फिर से सुनी कर दी है। इससे साफ होता है कि राज्य में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खराब ही नहीं, बल्कि बदतर हो गयी है। यहां सरकारी सिस्टम भगवान भरोसे चल रहा है, गंभीर मरीज की जान बच गयी, तो अफसर अपनी पीठ थपथपाने से बाज नहीं आते। वहीं, मौत हो जाने पर हालात को जिम्मेवार बताया जाता है।
जमशेदपुर में कोल्हान के सबसे बड़े महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) अस्पताल में बुधवार को कुछ ऐसा ही मामला सामने आया, जब एंबुलेंस में गर्भंवती का प्रसव हो गया और नवजात की मौत हो गयी। डुमरिया के खडिदा गांव की रहने वाली माधुरी कालिंदी की प्रसव पीड़ा के कारण स्थिति गंभीर हो थी। उसे डुमरिया से लगभग 80 किलोमीटर दूर एमजीएम अस्पताल एंबुलेंस से लाया जा रहा था। इस दौरान माधुरी कालिंदी ने प्रसव पीड़ा से तड़पते हुए एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म देने की कोशिश की। लेकिन, नवजात का आधा शरीर गर्भ में ही फंस गया। इसके बाद एमजीएम पहुंचने पर डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद मां को बचाने के लिए डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया। जिसके बाद महिला की हालत फिलहाल स्थिर है।
इधर, माधुरी की बहन कोमोलिका ने आरोप लगाया कि अगर डुमरिया में ही सही इलाज की व्यवस्था होती, तो उनकी बहन के बच्चे की जान नहीं जाती। उस नवजात की जान बच सकती थी। बताया कि माधुरी को प्रसव पीड़ा होने पर मंगलवार रात में इसे डुमरिया के समुदयिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया। वहां कोई डॉक्टर नहीं था, सिर्फ दो नर्स थीं। उन्होंने रातभर कोशिश की। लेकिन, प्रसव नही हुआ। जिसके बाद बुधवार सुबह माधुरी की स्थिति को देखते हुए हायर सेंटर ले जाने को कहा गया। जिसके बाद सरकारी सहिया के साथ एमजीएम अस्पताल रेफर कर भेज दिया गया।
मालूम हो कि माधुरी का पति संतोष कालिंदी आंध्रप्रदेश के विजयनगर का रहनेवाला है। वहीं, पर ठेकेदार के अंदर मजदूर के रूप में काम करता है। माधुरी भी अपने पति के साथ वहीं रहती थी। गर्भवती होने के बाद डुमरिया के खडिदा गांव स्थित अपनै मायके प्रसव के लिए आयी थी। दंपती का यह पहला बच्चा था।