द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड में स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने में लापरवाही बरतने पर राज्य सरकार ने बीमा कंपनी टाटा एआईजी पर रोजाना दो लाख रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। यह जुर्माना 16 अप्रैल से प्रभावी है। सरकार ने यह कदम तब उठाया जब कंपनी ने 15 अप्रैल की समयसीमा तक बड़े और प्रमुख निजी अस्पतालों को अपनी सूची में शामिल नहीं किया। राज्य के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने झारखंड स्टेट आरोग्य सोसायटी को निर्देश दिया है कि वह बीमा कंपनी से जुर्माने की राशि वसूले। सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक अबु इमरान ने जानकारी दी कि कंपनी को शोकॉज नोटिस भी भेजा गया है।
राज्य सरकार ने 1 मार्च से अपने 1.62 लाख कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की है, जिसके तहत पांच लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज और गंभीर मामलों में 10 लाख रुपये तक की सुविधा दी जा रही है। आवश्यकता पड़ने पर कॉरपस फंड और एयर एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि, कर्मचारियों ने शिकायत की कि मेदांता, अपोलो, मेडिका, सेंटेविटा, मैक्स और नारायणा जैसे बड़े और भरोसेमंद अस्पतालों में अभी भी कैशलेस सुविधा नहीं मिल रही है क्योंकि ये अस्पताल बीमा कंपनी की पैनल सूची में शामिल नहीं हैं।
सरकार ने इस पर 4 अप्रैल को एक उच्च स्तरीय बैठक कर बीमा कंपनी को 15 अप्रैल तक सभी प्रमुख अस्पतालों को सूची में शामिल करने का निर्देश दिया था। लेकिन तय समयसीमा के बाद भी कंपनी की ओर से कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई। अब सरकार ने सख्ती दिखाते हुए टाटा एआईजी पर दैनिक दंड लगाने का निर्णय लिया है। साथ ही, झारखंड स्टेट आरोग्य सोसायटी को निर्देश दिया गया है कि वह रांची स्थित प्रमुख अस्पतालों से पैकेज डिटेल्स लेकर बीमा कंपनी की सूची में जल्द शामिल करवाए। उल्लेखनीय है कि यह योजना अब पेंशनर्स और अन्य श्रेणी के कर्मचारियों के लिए 1 मई से लागू होने वाली है। टाटा एआईजी के साथ हुए एमओयू के तहत पेंशनभोगियों को भी पांच लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिलेगा।