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बदलती तस्वीर : संस्कृति, इतिहास, विरासत और व्यंजनों का कॉकटेल बनेगा झारखंड का कल्चरल टूरिज्म

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रांची: 

यदि आप झारखंड में घूम जाएं, तो आप नार्थ ईस्ट, कश्मीर और केरल को भूल जाएंगे। खनिज संपदा के साथ प्राकृतिक सौंदर्य से भी झारखंड लबरेज़ है। पर्यटन की ओर दरअसल किसी भी सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया, जबकि इससे राजस्व भी बड़ी मात्रा में हासिल हो सकता है। लेकिन हेंमत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार इस ओर ध्यान दे रही है। राज्य की पर्यटन नीति को धरातल पर उतारा जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि संस्कृति, इतिहास, विरासत और व्यंजनों का  कल्चरल टूरिज्म कॉकटेल बने। इसके लिए राज्य सरकार एकीकृत आदिवासी परिसर विकसित करेगी। जिसके तहत पर्यटकों को एक ही स्थान पर झारखण्ड की संस्कृति, इतिहास और विरासत का दीदार होगा, वहीं विविध व्यंजनों के रसास्वादन का लुत्फ़ भी मिलेगा। कॉकटेल में स्थानीय नृत्य, गीत और संगीत को भी शोकेस किया जाएगा। इस पर्यटन पैकेज का मकसद पर्यटकों को राज्य की सांस्कृतिक विविधता और जीवंतता का अनुभव देकर आकर्षित करना है। 

 

शिल्प और व्यंजनों को बढ़ावा 

पर्यटन नीति के तहत कल्चरल टूरिज्म के जरिये स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने और स्वरोजगार पैदा करने के लिए शिल्प और व्यंजनों में झारखण्ड की समृद्ध विरासत को साथ लेकर चलने की योजना है। राज्य के हस्तशिल्प की समृद्ध परंपरा और उद्योग विभाग के अनुरूप निवेश के अवसर को बढ़ावा दिया जाएगा। फूड फेस्टिवल के माध्यम से क्षेत्रीय व्यंजनों को नया आयाम मिलेगा। पर्यटन सूचना केंद्र, होटल, हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों पर झारखण्ड के हस्तशिल्प प्रदर्शित किए जायेंगे। राज्य और राज्य के बाहर विभिन्न पर्यटन प्रदर्शनियों के माध्यम से हस्तशिल्प और क्षेत्रीय खानपान को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे। 

 

संस्कृति और परम्परा से अवगत होंगे पर्यटक 

पर्यटकों को यहां की परम्परा और संस्कृति से अवगत कराने के लिए विभिन्न मेलों और त्योहारों, पारंपरिक जीवन शैली, रीति-रिवाजों, पोशाक और खानपान से रूबरू कराने की योजना पर सरकार कार्य कर रही है। सरकार झारखण्ड में आयोजित होने वाले मेलों और त्योहारों को पर्यटन के रूप में विकसित करने का प्रयास करेगी। पूरे राज्य में महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों का एक कैलेंडर तैयार किया जाएगा।

 

दूसरी संस्थाओं से भी ली जाएगी मदद
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), संगीत नाटक अकादमी, क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों और अन्य संगठनों को झारखण्ड में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। विभिन्न पर्यटन क्षेत्रों में अंतरराज्यीय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, ताकि अन्य राज्यों और विदेशों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा और राज्य के कलाकारों को एक्सपोजर प्रदान किया जा सके। होटलों में सम्मेलन आयोजित कर झारखण्ड की संस्कृति, नृत्य, कला संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा।