द फॉलोअप डेस्क
झारखंड हाईकोर्ट ने सुशील एंड कंपनी को भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने 19 जनवरी 2015 को BCCL द्वारा दिए गए आदेश को निरस्त करते हुए BCCL पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। हाईकोर्ट ने कहा कि BCCL का 19 जनवरी 2015 का आदेश आधारहीन और तथ्यहीन था, जो सिर्फ पुलिस की प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों पर आधारित था।
हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि BCCL ने इस मामले में अपनी ओर से कोई स्वतंत्र जांच नहीं की, जिसके कारण सुशील एंड कंपनी को 12 वर्षों तक काली सूची में रखा गया।
दरअसल, सुशील एंड कंपनी को BCCL ने वर्ष 2012 में धनबाद के गजलीटांड़ से मुनीडीह वाशरी में कोयला ट्रांसपोर्टेशन का काम सौंपा था। 30 जून 2012 को कंपनी पर अवैध रूप से कोयला ट्रांसपोर्ट और अवैध कोयला बिक्री का आरोप लगा था। इसके बाद, पुलिस ने 1 जुलाई 2012 को धनबाद के गोविंदपुर थाना में कांड संख्या 276/2012 दर्ज किया। इसी प्राथमिकी के आधार पर BCCL ने 19 जुलाई 2012 को सुशील एंड कंपनी को अनिश्चितकाल के लिए काली सूची में डाल दिया था।
सुशील एंड कंपनी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद कोर्ट ने BCCL को पुनः आदेश पारित करने का निर्देश दिया। इसके बाद BCCL ने 19 जनवरी 2015 को सुशील एंड कंपनी को फिर से काली सूची में डालने का अपना पूर्व आदेश बहाल कर दिया, जिसे कंपनी ने फिर से हाईकोर्ट में चुनौती दी। अब, हाईकोर्ट ने BCCL के इस आदेश को निरस्त कर दिया और BCCL पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
यह आदेश सुशील एंड कंपनी के लिए बड़ी राहत लेकर आया है और यह दर्शाता है कि जब तक कोई जांच पूरी नहीं होती, किसी कंपनी को काली सूची में डालना उचित नहीं है।