रांची:
मनरेगा मांग आधारित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए और आजीविका की सुरक्षा बढ़ाने के लिए काम करता है। यह आजीविका सुरक्षा प्रदान करने की योजना है, जिसके तहत ग्रामीण परिवारों के पास जब कोई रोजगार नहीं हो, तो उनके लिए बेहतर अवसर उपलब्ध नहीं हो, उस समय यह रोजगार के विकल्प प्रदान करता है।
100 दिनों के गारंटीशुदा रोजगार की व्यवस्था की गई
इसके तहत साल भर में 100 दिन की गारंटीशुदा रोजगार की व्यवस्था की गई है। उक्त आशय की जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोकसभा में दी। लोकसभा में रांची सांसद संजय सेठ ने मनरेगा से जुड़े सवाल पूछे थे। जिसमें झारखंड में मनरेगा नियमों के अनुपालन, झारखंड में मनरेगा मजदूरों को दी गई मजदूरी, 100 दिन का रोजगार और अब तक भारत सरकार द्वारा दिए गए आवंटन राशि से संबंधित जानकारी मांगी गई थी।
तीन सालों में झारखंड को 6000 करोड़
जानकारी उपलब्ध कराते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत झारखंड को विगत 3 वर्षों में लगभग ₹6000 करोड रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई है। 2018 -19 में 1538 करोड़ रुपए, 219-20 में 1311 करोड रुपए और 2020-21 में 3489 करोड रुपए झारखंड को उपलब्ध कराए गए। यानी 2019-20 में कार्यों में थोड़ी गिरावट आई परंतु 2021 में भारत सरकार ने लगभग 3 गुनी राशि झारखंड को उपलब्ध कराई।
15 दिनों के भीतर 100% लोगों को भुगतान
सांसद के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अब तक मिली रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा योजना के तहत झारखंड में मास्टर रोल बंद होने के 15 दिनों के भीतर 100% लोगों को भुगतान किया जा चुका है। समय-समय पर पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि सोशल ऑडिट के दौरान कि बेहतर कार्य हो सका है या नहीं।
88,331 परिवारों को मिला 100 दिन का रोजगार
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके, इस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है। सांसद को जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 100 दिन का रोजगार पाने वाले झारखंड में परिवारों की संख्या 88,331 है, जिसमें सबसे अधिक परिवार दुमका जिले में है जहां 8472 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा पश्चिम सिंहभूम जिले में 6036 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया। वही गढ़वा जिले में 5512 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया जबकि रांची जिले में 5172 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया।
कोडरमा जिले में सबसे कम परिवारों को मिला रोजगार
सबसे कम रोजगार कोडरमा जिले के परिवारों को उपलब्ध कराया गया, यहां सिर्फ 967 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया। इस तरह आवश्यकता के अनुसार हर जिले के जरूरतमंद परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने का काम मनरेगा के द्वारा किया जाता है। अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार झारखंड में मनरेगा के तहत 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने में दुमका जिला अव्वल स्थान पर है, वही कोडरमा जिला सबसे पिछड़ा रहा। झारखंड की राजधानी रांची 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में राज्य में पांचवें स्थान पर है।
कोरोना संक्रमण काल में विकास योजना संचालित हुई
इस संबंध में सांसद संजय सेठ ने कहा कि लगातार आ रहे आंकड़ों के अनुसार यह स्पष्ट है कि भारत सरकार पर्याप्त मात्रा में झारखंड को रोजगार और विकास दोनों ही के लिए राशि उपलब्ध करा रही है। 2020-21 में कोरोना संक्रमण काल के दौरान सरकार ने लगभग 3.5 हजार करोड़ की राशि उपलब्ध कराई। यह अपने आप में बहुत बड़ी रकम है।
इसी का परिणाम रहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण काल में भी ना सिर्फ विकास योजनाएं संचालित हुई बल्कि हमारे ग्रामीणों को समुचित रोजगार भी मिल सका। सांसद ने कहा कि मैं एक बार फिर राज्य सरकार से आग्रह करता हूं कि आप अधिक से अधिक योजनाएं बनाएं। योजनाओं का क्रियान्वयन करें। बेहतर प्रपोजल बनाएं और केंद्र सरकार को भेजे। केंद्र सरकार दोनों हाथ खोलकर राज्यों के विकास के लिए पैसा देने को तैयार है ताकि हमारा झारखंड भी देश के अन्य विकसित राज्यों की तरफ कदम से कदम मिलाकर चल सके।