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हेमंत कैबिनेट की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह के बारे में एक क्लिक में जानें सबकुछ

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द फॉलोअप डेस्क
सीएम हेमंत की कैबिनेट में विधायक दीपिका पांडेय की एंट्री हुई है। 22 जून 1976 में जन्मी दीपिका पांडेय सिंह महगामा से विधायक हैं। दीपिका भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव भी हैं। इसके साथ ही अब दीपिका पांडे सिंह झारखंड सरकार में मंत्री भी हैं। दीपिका पांडेय सिंह, कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख की जगह लेंगी। बता दें कि बादल पत्रलेख से मंत्रीपद छीन कर दीपिका पांडे सिंह पर हेमंत सोरेन ने भरोसा जताया है। 


रांची के एक राजनितिक परिवार से ताल्लुक रखती है दीपिका
दीपिका पांडेय सिंह का 22 जून 1976 को रांची के एक राजनितिक परिवार में हुआ है। उनके पिता अरुण पांडेय खुद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। इनके पिता अरुण पांडेय का निधन दिसंबर 2023 में हुआ। अरुण पांडेय एकीकृत बिहार के समय पार्षद भी रह चुके थे। वहीं दीपिका पांडेय सिंह की मां प्रतिभा पांडेय झारखंड राज्य समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी थी।

दीपिका पांडेय की शैक्षणिक शिक्षा

दीपिका ने अपनी प्रारंभिक पढाई रांची में की है। इन्होने 1994- 97 में सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची से जिव विज्ञानं में बीएससी किया है। 2000 में जेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल सर्विस, रांची से एमबीए भी किया है। बाद में उन्होंने 2008-2011 में एलएलबी की पढाई रांची में की है। इनका विवाह बिहार सरकार के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और झारखंड के महागामा से 4 बार विधायक रहे अवध बिहारी सिंह के पुत्र रत्नेश कुमार सिंह से हुआ है। इनके दो बच्चे भी है। 


राजनीतिक कैरियर 
दीपिका पांडे सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की युवा शाखा, युवा कांग्रेस से झारखंड युवा कांग्रेस की महासचिव के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। बाद में उन्हें युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के रूप में राष्ट्रीय समिति में पदोन्नत किया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद, उन्हें झारखंड के गोड्डा में कांग्रेस के गढ़ में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के कार्य के साथ गोड्डा जिला कांग्रेस कमेटी का जिला अध्यक्ष बनाया गया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने युवाओं और महिलाओं को कांग्रेस में लाने का काम किया। 2018 में, वह महिला कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला शाखा) में राष्ट्रीय सचिव के रूप में शामिल हुईं और उन्हें बिहार का प्रभारी बनाया गया। इसके बाद साल 2019 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतीक पर विधायक का चुनाव लड़ा। उन्होंने 89,224 वोट हासिल किए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के अशोक कुमार को 12,499 वोटों के अंतर से हराया।

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