द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र अंतिम पड़ाव पर है। गुरुवार को सत्र का अंतिम कार्य दिवस होने वाला है। इस दिन गैर-सरकारी संकल्प के साथ साथ सरकार सदन में अपना वक्तव्य देगी। सदन में सीएम हेमंत सोरेन के जवाब पर तमाम सदस्यों की नजर रहेगी। अंतिम दिन भी हंगामे के आसार हैं। पिछले दिनों विपक्ष ने सदन के अंदर और बाहर सरकार को घेरने का प्रयास किया। इससे पहले शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक को सदन में पारित कराया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिना संशोधन के बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक बिना संशोधन के सदन से पारित कराया गया.
1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति यहां की मांग- सीएम हेमंत
भोजनावकाश के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सदन में पहुंचे. विधेयक पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 11 नवंबर 2022 को सदन से पारित इस विधेयक को बिना किसी संशोधन के पारित करने के लिए सदन में पेश किया गया था. मुख्यमंत्री ने कहा विगत दिनों हमने इसे पारित किया था फिर राज्यपाल ने इसे वापस किया था. 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति यहां की मांग है इसी के अनुरूप पिछले साल 11 नवंबर को ध्वनिमत से पारित कर राज्यपाल को भेजा था उस वक्त विपक्ष ने भी सहमति दी थी।
कल क्या-क्या हुआ
सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले बीजेपी के विधायकों ने सदन के बाहर हंगामा और प्रदर्शन किया. उन्होंने नियोजन नीति समेत रोजगार सहित अन्य मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान बीते दिन 19 दिसंबर को सदन की कार्यवाही के दौरान निलंबित हुए विधायक भी धरने पर बैठे। बुधवार को इसी पाली में प्रज्ञान इंटरनेशनल विश्वविद्यालय (निरसन) विधेयक 2023 सदन में पेश किया गया। जिसे भी सदन में पारित करा लिया गया। वहीं झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 को भी सदन से पारित कराया गया।
बिना संसोधन के पास कराया गया बिल
इसके बाद स्थानीय नीति विधेयक को लेकर सदन में चर्चा की गयी। जिसमें सदस्यों ने अपनी वक्तव्य पेश किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि संविधान में नियम बनाने का शक्ति विधानमंडल को है। वहीं नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि बिना संशोधन के बिल पास कराने के पीछ सरकार की मंशा ठीक नहीं है।