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Ranchi : भाषा संवाद का जरिया हो सकता है, बांटने का आधार नहीं: दीपिका पांडेय सिंह

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रांची: 

झारखंड में भाषा विवाद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। एक तरफ जहां गैर भोजपुरी और मगही भाषी जिलास्तरीय पदों में बतौर स्थानीय भाषा इसे शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं तो वहीं इसे बोलने वाले लोग समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं। प्रदेश के शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो खुले मंच से कह रहे हैं कि वो किसी भी हालत में भोजपुरी और मगही को शामिल नहीं होने देंगे वहीं सरकार में सहयोगी कांग्रेस और आरजेडी का अलग मत है। 

महागामा विधायक की भाषा विवाद पर प्रतिक्रिया
अब इस मामले में महागामा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की विधायक दीपिका पांडेय सिंह का बयान सामने आया है। दीपिका पांडेय सिंह ने कहा है कि भाषा संवाद का जरिया हो सकता है बांटने का आधार नहीं। भाषा विवाद से प्रदेश के मूल मुद्दे पीछे छूट रहे हैं। लोग आपस में बंट रहे हैं। इसे अविलंब रोका जाना चाहिए। उन्होंने युवाओं से भी इसमें नहीं पड़ने की अपील की है। विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने भाषा विवाद पर वीडियो जारी कर अपनी प्रतिक्रिया दी है। 

दीपिका पांडेय ने युवाओं से क्या अपील की है
दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि भाषा को लेकर राज्य में जो उन्माद फैलाया जा रहा है वो राज्य हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि भाषा संवाद का जरिया हो सकता है। भाषा कभी भी बांटने का हथियार नहीं हो सकता। दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि हमारा राज्य गरीब है। ये समय है कि हम ज्यादा से ज्यादा युवाओं के लिए मौके बनायें।

चाहे वो आदिवासी हो या मूलवासी। भाषा को विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। महागामा विधायक ने कहा कि जो भी इस राज्य में रहता है। यहां जिसका जन्म हुआ। यहां से शिक्षा प्राप्त की। चाहे वो आदिवासी हो या मूलवासी, राज्य पर सबका समान अधिकार है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे गैरजरूरी बातों में आकर आक्रोशित ना हों। अपने लिए बेहतर अवसर ढूंढ़ें। 

जिलास्तरीय पदों पर जोड़ी गई थी ये भाषायें
गौरतलब है कि जिलास्तरीय पदों पर बतौर स्थानीय भाषा भोजपुरी, मैथिली, अंगिका और मगही को जोड़ा गया है। प्रदेश के बोकारो और धनबाद में भोजपुरी और मगही भाषा जोड़ी गई है जिसका सबसे ज्यादा विरोध किया जा रहा है। भाषा को लेकर आंदोलन की शुरुआत भी इन्हीं 2 जिलों से शुरू हुई जो अब राजधानी रांची में भी पहुंच चुकी है।