रांची
मोदी जी एंड कंपनी के घोटाले की रेलगाड़ी की रफ्तार नहीं थम रही है। घोटाले की लंबी श्रृंखला खड़ी करने वाली मोदी सरकार लगातार स्वतंत्र संस्थाओं का उपयोग अपने मित्र व्यापारिक घराने को बचाने में कर रही है। सोमवार को ये बातें प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सोनाल शांति ने कहीं। उन्होंने कहा कि हिडनबर्ग के ताजा रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह से भी सेबी जैसी संस्था की साख दांव पर लग गई है उससे देश के निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
नये-नये कारनाम सामने आ रहे हैं
उन्होंने कहा कि आखिर ऐसी कौन सी स्थिति है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ सेबी की चल रही जांच अभी पूरी नहीं हुई है और उनके नए-नए कारनामे सामने आ रहे हैं।सेबी प्रमुख का इस मामले में सीधा नाम आना देश के लोगों के बीच संशय को जन्म दे रहा है। प्रधानमंत्री की चुप्पी और भाजपा नेताओं द्वारा सेबी प्रमुख का बचाव भाजपा को भी संदेहास्पद वित्तीय अनियमिताओं के घेरे में ला रहा है, जिसकी जांच संयुक्त संसदीय समिति से करानी चाहिए।
अडानी महा घोटाले की जांच क्यों नहीं करा रही सरकार
उन्होंने कहा कि अडानी महा घोटाले की जांच आखिर क्यों नहीं कराई जा रही है। केंद्र की मोदी सरकार आखिर क्यों इतनी बेबस है की जांच कराने से डर रही है। देश के आम निवेशकों की बजाय देश के चंद उद्योगपतियों को बचाने का प्रपंच आखिर किसके इशारे पर रचा जा रहा है, अगर इसकी जांच होती है तो देश की सत्ता पर काबिज कई सफेदपोश भाजपा नेताओं के चेहरे सामने आएंगे।
देश के करोड़ों ईमानदार निवेशकों के नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा प्रधानमंत्री मोदी, सेबी प्रमुख या किसी और के सिर पर इसका ठिकरा फोड़ा जाएगा, जनता यह जानना चाहती है। निर्लजता की हद तो यह है कि इतने बड़े मामले के सामने आने के बाद भी सेबी प्रमुख का इस्तीफा न दिया जाना यह दर्शाता है कि "सैया भये कोतवाल तो अब डर काहे का"। यह आशंका है कि पिछले 10 साल में केंद्र के उच्च पदों पर नियुक्ति रेगुलेटर सहित संवैधानिक संस्थाओं में दखलअंदाजी में अडानी कंपनी का हाथ हो सकता है शायद इसलिए अडानी महा घोटाले की जांच जेपीसी से नहीं कराई जा रही है।