दीपक झा जामताड़ा
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए सदर अस्पताल में करीब 70 लाख रूपये खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया था। ताकि मरीजों को सहूलियत हो। लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी यह प्लांट विभाग की ओर से चालू नहीं किया गया। जिले का सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल इन दिनों खुद कई समस्याओं से जूझ रहा है। यह केवल एक दावा नहीं, बल्कि अस्पताल की मौजूदा स्थिति और भर्ती मरीजों की परेशानियों को देखकर समझा जा सकता है। यहां ऑक्सीजन प्लांट तो मौजूद है, लेकिन अब तक चालू नहीं हो पाया। सबसे चिंताजनक बात यह है कि अस्पताल में 50% डॉक्टरों की भी कमी है। सभी ओपीडी का संचालन भी प्रतिदिन नहीं पा रहा है। बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान टाटा कंपनी ने सीएसआर फंड के तहत सदर अस्पताल में एक ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया था। इसे चालू करने की योजना चार साल पहले बनाई गई थी, यहां तक कि ऑक्सीजन पाइपलाइन भी बिछाई गई, लेकिन यह प्लांट अब तक चालू नहीं हो सका है।
बता दें कि सदर अस्पताल के वार्डों में मरीजों तक पाइप लाइन से ऑक्सीजन देने के लिए पाइप लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। लेकिन इन पाइप लाइन से ऑक्सीजन की सप्लाई कब दी जाएगी। इसकी जानकारी विभाग के पास नहीं है। इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ आनंद मोहन सोरेन ने कहा, “ऑक्सीजन प्लांट को चालू करने के प्रयास किए जा रहे हैं और मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं। मैन पावर की कमी है। जिसके लिए विभाग को अवगत कराया गया है।”