जमशेदपुर
आदिवासी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक कल्पना सोरेन के एक बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने बताया कि विधायक ने विधानसभा में दिये अपने वक्तव्य में कहा था कि किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाने से समाज का नहीं, बल्कि व्यक्तिगत विकास हुआ है। रमेश हांसदा ने मांग की है कि विधायक को अपने सदन में दिये इस वक्तव्य पर माफी मांगनी चाहिए।
रमेश हांसदा ने इसे लेकर बुधवार को जमशेदपुर के सर्किट हाउस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कल्पना सोरेन का बयान उनके स्वयं पर ही सटीक बैठता है। उन्होंने कहा कि जब राज्य का मुखिया भी एक आदिवासी है, तो यह कहना कि आदिवासी समाज का विकास नहीं हुआ, केवल एक राजनीतिक बयान है। सच्चाई यह है कि आदिवासी समाज का नहीं, बल्कि केवल कुछ व्यक्तियों और उनके परिवार का विकास हुआ है।
हांसदा ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए कुछ नेताओं द्वारा व्यक्तिगत लाभ लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि सबको पता है कि मुख्यमंत्री रहते हुए स्वयं के लिए जमीन लीज पर ली गयी थी। आदिवासी इंडस्ट्रियल जमीन के आवंटन की योजना के तहत सरकार ने कल्पना सोरेन के नाम पर भी जमीन आवंटित कर दी। उन्होंने कल्पना सोरेन पर व्यक्तिगत और पारिवारिक राजनीति करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संघर्ष की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने जंगल से निकलकर विधायक, मंत्री, फिर राज्यपाल और अंततः देश की राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया है, जो किसी के लिए भी आसान नहीं है।
भाजपा के संवाददाता सम्मेलन के बाद स्थिति पर टिप्पणी करते हुए हांसदा ने कहा कि पेशा कानून की नियमावली बने हुए 5 साल हो गये, लेकिन आदिवासी संस्कृति पर लगातार हमले हो रहे हैं और फिर भी आदिवासी नेतृत्व चुप बैठा है। उन्होंने कहा कि कल्पना सोरेन का बयान उनके स्वयं के ऊपर ही लागू होता है और उन्हें इसे आत्मविश्लेषण करना चाहिए। इस दौरान मुख्य रूप से राम सिंह मुंडा, जयपाल मुर्मू, विशु महतो आदि शामिल थे।