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रिम्स में दवाओं की कमी से जूझ रहे मरीज, जरूरत की 20% दवाएं भी नदारद; प्रबंधन ने दी ये सफाई 

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द फॉलोअप डेस्क 
झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स, रांची में मरीज दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। रिम्स के दवाखाने में जरूरत की 20% दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। सूरत-ए-हाल ये है कि राज्यभर से यहां आने वाले मरीजों को जरूरी दवाएं बाहर की दुकानों से खरीदनी पड़ रही हैं। इसी तरह महंगी दवाओं की भी रिम्स में कमी है। कुल मिलाकर मरीज जरूरी और महंगी दवाएं बाहर से खरीदने के लिए विवश हो रहे हैं। इससे गरीब रोगियों के परिजन हलकान हो रहे हैं। मामले की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि महीने भर पहले रिम्स के निदेशक आरके गुप्ता दवा स्टॉक का रिव्यू कर चुक हैं। तब उन्होंने कहा था कि जल्दी ही दवाओं की कमी पूरी की जायेगी। 

15 दिनों में हालत सुधारने की बात कही थी
रिम्स निदेशक ने दवा के स्टॉक में कमी को स्वीकार किया औऱ कहा कि 15 दिनों इस दिशा में सुधार कर लिया जायेगा। उन्होंने विभिन्न विभागों को चिकित्सकों से भी इस पर विमर्श किया। निदेशक ने इस दौरान चिकित्सकों से ऐसी दवाओं की सूची मांगी थी, जो वे बार-बार मरीजों को लिखते हैं। लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी हालत जस की तस बनी हुई है। मिली खबर के मुताबिक इस समय रिम्स के दवाखाने में फिलहाल 70 तरह की दवाएं ही उपलब्ध हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो रिम्स में वर्तमान समय में जरूरत की 20 फीसद दवा भी नहीं है। इससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सक होते हुए भी वे दवा के लिए भटने को विवश हैं। 

क्या कहते हैं चिकित्सक 
कुछ चिकित्सकों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि मरीजों को जरूरी दवाएं ही लिखी जाती हैं। त्वरित सुधार और इलाज के लिए जिन दवाओं की जरूरत होती है, वो मरीजों को देना जरूरी होता है। ऐसी दवा अगर उपलब्ध नहीं है तो बदले में दूसरी दवा भी लिखी जा सकती है। लेकिन फिर मरीज की हालत में सुधार होने में समय लग सकता है। इसी के साथ कुछ दवाएं ऐसी भी होती हैं, जिनकी जरूरत मरीज को तत्काल पड़ती है। ऐसी दवाओं के लिए भी चिकित्सक अधिक इंतजार नहीं कर सकते। कई बार इससे मरीज की जान को भी खतरा पैदा हो सकता है। वहीं, एक अन्य खबर में बताया गया है कि रिम्स में दवाओं की खरीद के लिए निविदा निकाली जा चुकी है। रेट कांट्रैक्ट भी किया गया है। अब देखना है स्थिति में कब तक सुधार होता है।